मनीष वत्स/पटना. बिहार में लालू प्रसाद के कथित जंगलराज का डर दिखाकर आज भी भाजपा और नीतीश कुमार सत्ता में आते रहते हैं, पर ये वही लालकृष्ण आडवाणी हैं जो लालू प्रसाद के लिए के लिए लकी चार्म साबित हुए. राम मंदिर आंदोलन के दौरान बिहार के समस्तीपुर में आडवाणी की गिरफ्तारी से बिहार के मुस्लिम वोटरों को मजबूत संदेश गया कि यहां वे लालू प्रसाद के साथ मजबूत रहेंगे. इसी बड़े वोटर वर्ग को अपने पाले में करने के लिए लालू प्रसाद ने केंद्र की अपनी वीपी सिंह की सरकार के गिर जाने की संभावना होने के बावजूद आडवाणी की गिरफ्तारी का साहस दिखाया.
आज भी बिहार की राजनीति में माय फैक्टर अटूट बना हुआ है. जिसकी काट न तो अबतक नीतीश ढूंढ पाए और ना ही भाजपा.
तीसरे प्रयास में हुई थी आडवाणी की गिरफ्तारी
कहा जाता है कि आडवाणी से लालू प्रसाद ने रथ यात्रा नहीं निकालने का आग्रह किया था, लेकिन आडवाणी नहीं माने. अलबत्ता दोनों ने एक-दूसरे को गिरफ्तारी की चुनौती तक दे डाली थी. उधर, आडवाणी रथ यात्रा पर निकले और इधर, लालू प्रसाद उन्हें गिरफ्तार करने की रणनीति बनाने पर. आडवाणी को पहले सासाराम में गिरफ्तार करने का प्लान था, लेकिन सीनियर प्रशासनिक अधिकारियों का अनिक्षापूर्ण व्यवहार और प्लान लीक हो जाने के कारण गिरफ्तारी नहीं सकी.
फिर धनबाद में आडवाणी को गिरफ्तार करने की योजना बनी. लेकिन, वहां के डीसी अफजल अमानुल्लाह एक तो मुसलमान थे और दूसरे वे बाबरी एक्शन कमिटी के जुड़े एक मुस्लिम पक्षकार के दामाद भी थे, सो वहां भी आडवाणी की गिरफ्तारी में पेंच फंस गया. आखिरकार गोपनीय तरीके से समस्तीपुर में गिरफ्तारी संभव हुई.
माय समीकरण बनाने में सफल हुए लालू
मधेपुरा के वरिष्ठ पत्रकार तुर्वशु सचिंद्र कहते हैं कि दरअसल, 1970 और 1980 के दशक में सांप्रदायिक हिंसा की कई घटनाएं हुई थीं. इन घटनाओं से बिहार के मुसलमानों का राज्य और केंद्र की कांग्रेस सरकारों से मोह भंग भंग हो गया था. नाराज मुस्लिमों ने 1989 के लोकसभा चुनाव और 1990 के विधानसभा चुनाव में इस उम्मीद में जनता दल को वोट दिया की उन्हें सुरक्षा मिलेगी. इस बड़े वोट बैंक को सहेजकर रखना लालू की आगे की राजनीति के लिए लिए जरूरी भी थी और चुनौती भी.
यही कारण था कि केंद्र की सरकार को दांव पर रखकर लालू ने आडवाणी को गिरफ्तार किया. वे कहते हैं कि बीपी मंडल के कारण कोसी और कर्पूरी ठाकुर के कारण समस्तीपुर का इलाका समाजवादियों का इलाका माना जाता था. इस कारण से आडवाणी को समस्तीपुर में गिरफ्तार करने का वही संदेश मुसलमानों में गया, जो लालू देना चाहते थे.
स्थानीय DM-SP को नहीं लगी भनक
आडवाणी की गिरफ्तारी को कवर करने वाले 72 वर्षीय समस्तीपुर के स्थानीय पत्रकार शिवचंद्र झा बताते हैं कि रथ यात्रा और भाषण कार्यक्रम को लेकर समस्तीपुर में भाजपा और हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता व समर्थकों में काफी उत्साह था. लेकिन, आडवाणी की गिरफ्तारी से लोग आक्रोशित हो गए थे. पटेल मैदान के हेलीपैड तक लोग पहुंच गए थे और आक्रोश का इजहार कर रहे थे.
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हालांकि, उसी दिन भाजपा ने केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लिया. इससे कार्यकताओं का गुस्सा थोड़ा शान्त हो गया. वे बताते हैं कि गिरफ्तारी की घटना से तब के स्थानीय डीएम और एसपी भी हतप्रभ थे, क्योंकि उन्हें भी इस आदेश की भनक नहीं लगी थी.
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FIRST PUBLISHED : February 3, 2024, 19:28 IST