भरत तिवारी/जबलपुर. भारत में चाय का आनंद एक अद्वितीय और अटूट अनुबंध है, जो हर कोने में अपनी मिट्टी की खुशबू और स्वाद से लोगों को मोहित करता है. चाय की दुकानें और टपरी भारतीय जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं, जहां लोग न केवल चाय का आनंद लेते हैं, बल्कि साथ ही साथ मित्र और परिवार के साथ समय बिताते हैं. जबलपुर शहर में आजकल एक खास चाय का जलवा देखा जा रहा है जो लोगों का मन मोह ले रही है.
यह खास चाय है उन लोकल चाय वालों की देसी चाय है, जो शहर की गलियों में खुशबू फैलाते हुए आपको अपनी मिठास से लुभा लेती है. इस चाय की खासियत उसकी पारंपरिक रुचि, मजबूत खुशबू और गहरा स्वाद है, जो हर चाय शौकीन को मोह लेती है. इस आर्टिक्ल में हम ऐसी ही एक चाय की दुकान का ज़िक्र करेंगे जिसकी चाय पीने जबलपुर के कोने कोने से लोग पंकज पैलेस के पास महाकाल देसी चाय में पहुंच रहे हैं.
पारम्परिक तरीके से बनाते हैं चाय
शुभम रैकवार आज भी वही पुराने और पारम्परिक तरीके से चाय बनाते हैं, जिसका नुक्सान तो एक भी नहीं है, लेकिन फायदे अनेक हैं. शुभम पुराने तरीके से आज भी पीतल के बर्तन में चाय बनाते हैं, उनके अनुसार एल्युमीनियम के बर्तन में दूध की चाय बनाने से एसिडिटी जैसी समस्या लोगों में देखने को मिलती है जो पीतल में बर्तन में चाय बनाने से नहीं होती. इसके अलावा शुभम अपनी चाय को पारंपरिक फ्लेवर भी देते हैं जिसमे पुराने तरीके से आज भी शुभम मिटटी की मटकी को भट्टी में गरम करके उसे चाय में डालते हैं जिससे चाय में एक अलग मिटटी का स्वाद आता है, जिसे शुभम ने “देसी चाय” नाम दिया है. खास बात तो यह है कि जिस प्रकार शुभम चाय बनाते हैं उनके तरीक को भी देखने लोग दूर दूर से पहुंचते हैं और उनका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर उपलोड करते हैं.
देसी चाय के फायदे
पारम्परिक तरीके से बानी हुई देसी चाय के अनेक फायदे हैं, जिसमें अगर आपको दूध की चाय पीने से गैस की समस्या होती है तो इस देसी चाय को पीने से आप उस समस्या से दूर रहेंगे. इसके अलावा जिस प्रकार आपकी दादी या नानी सर्दी होने पर आपको देसी चाय पिलाया करती थी इस कड़क अदरक वाली देसी चाय से आपको सर्दी जैसी बीमारियों से भी निजात मिलेगा और इस कुल्हड़ वाली देसी चाय में आपको वही पुराना स्वाद मिलेगा जो आपको दादी -नानी के घर की याद दिलाएगा वो भी मात्र 10 रुपए में.
नौकरी छोड़ शुरू किया चाय का स्टाल
जबलपुर शहर में पंकज पैलेस होटल के सामने चाय की दुकान लगाने वाले शुभम रैकवार ने बताया कि उन्होंने MBA किया है लेकिन कोरोना काल के दौरान उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने चाय की दुकान लगाने का फैसला किया और एक छोटी सी दुकान के साथ अपनी इस देसी चाय की शुरुआत की. शुभम की देसी चाय पीने रोज़ाना 500 से ज्यादा लोग पहुंचते हैं.
शुभम का कहना है कि चाय ने ही उसके बुरे वक्त में साथ दिया, इसलिए अब वो नौकरी की तरफ देखना भी नहीं चाहते हैं और भविष्य में अपनी इस छोटी सी चाय की दुकान को बड़ी दुकान में बदलने का इरादा लेकर आगे बढ़ रहे हैं और आज शुभम का महीने का टर्नओवर लगभग 1.5 लाख है. दुकान में चाय की एक ही वैरायटी है और उसी के लोग दीवाने बने हुए हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 5, 2024, 11:22 IST