मुंबई. क्या कोई अर्धसैनिक बल का जवान आधी रात को पड़ोस में अपनी छह साल की छोटी बच्ची के साथ रह रही महिला के घर का दरवाजा खटखटाकर नींबू मांग सकता है. सुनने में ऐसा लगता है शायद यह व्यक्ति सच में परेशान होगा और उसे इलाज के लिए तत्काल नींबू की जरूरत होगी लेकिन यह सच नहीं है. बोम्बे हाईकोर्ट ने इस जवान की मंशा पर शक जताते हुए उसे सबक सिखाया. कोर्ट ने माना कि सीआईएसएफ कर्मी द्वारा अजीब समय पर एक महिला का दरवाजा खटखटाकर उससे नींबू मांगना बेतुका और अशोभनीय है.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कदाचार के लिए उसपर लगाए गए जुर्माने को रद्द करने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एम एम सथाये की खंडपीठ ने 11 मार्च के अपने आदेश में कहा कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के याचिकाकर्ता कांस्टेबल ने उक्त घटना से पहले शराब पी थी और उसे यह भी पता था कि उसका सहकर्मी, महिला का पति पश्चिम बंगाल में चुनावी ड्यूटी पर बाहर था.
महिला का पति चुनावी ड्यूटी पर था
अदालत घटना के समय मुंबई में बीपीसीएल (भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड) में तैनात 33 साल के सिपाही की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जुलाई 2021 और जून 2022 के बीच सीआईएसएफ में उनके वरिष्ठों द्वारा उक्त कदाचार के लिए जुर्माना लगाने की कार्रवाई को चुनौती दी थी. सिपाही का वेतन तीन साल के लिए कम कर दिया गया, इस दौरान उन्हें सजा के तौर पर कोई वेतन वृद्धि भी नहीं मिलेगी. महिला की तरफ से यह आरोप लगाया गया था कि 19 अप्रैल और 20 अप्रैल 2021 की मध्यरात्रि को आधिकारिक आवासीय क्वार्टर में, सिपाही ने अपने पड़ोसी के घर का दरवाजा खटखटाया. घटना के वक्त महिला और उसकी छह वर्षीय बेटी घर पर थी.
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सिपाही ने बनाया स्वास्थ्य खराब होने का बहाना
महिला ने कहा कि वह डर गई थी और आरोपी सिपाही से कहा कि उसका पति पश्चिम बंगाल में ड्यूटी पर है और इसलिए उसे परेशान नहीं करना चाहिए. महिला की चेतावनी और धमकी के बाद आरोपी वहां से चला गया. आरोपी सिपाही की तरफ से अपने बचाव में दावा किया कि वह अस्वस्थ महसूस कर रहे थे और केवल नींबू मांगने के लिए पड़ोसी का दरवाजा खटखटाया था. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने घटना से पहले शराब पी थी और उसे यह भी पता था कि शिकायतकर्ता महिला का पति उस समय घर पर मौजूद नहीं था.

सिपाही की हरकत तुच्छ: कोर्ट
हाईकोर्ट ने कहा कि “याचिकाकर्ता का कृत्य यह जानते हुए कि घर में पुरुष अनुपस्थित है, उसने पड़ोसी का दरवाजा खटखटाया. वहां एक महिला अपनी छह साल की बेटी के साथ घर में रह रही थी और वह भी एक नींबू लेने के तुच्छ कारण के लिए. ‘पेट खराब होने की चिकित्सीय आपात स्थिति कहा जाना कम से कम बेतुका है.” अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याची का अरचरण सीआईएसएफ जैसे बल के “निश्चित रूप से एक अधिकारी के लिए अशोभनीय” था. “हमारे विचार में, याचिकाकर्ता का इरादा निश्चित रूप से उतना वास्तविक और स्पष्ट नहीं पाया गया जितना आरोप लगाया गया है.” पीठ ने आरोपी की इस दलील को भी मानने से इनकार कर दिया कि यह घटना कदाचार की श्रेणी में नहीं आती है क्योंकि कथित घटना के समय वह ड्यूटी पर नहीं था. बेंच ने कहा कि केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमों के तहत उन्हें ईमानदारी बनाए रखने और ऐसा कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है जिससे कोई नुकसान हो. हर समय एक सरकारी कर्मचारी के प्रति अशोभनीय रहें.
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Tags: Bombay high court, CISF, Maharashtra News
FIRST PUBLISHED : March 13, 2024, 22:43 IST