कुंदन कुमार/गया. बिहार के गया जिले के आमस प्रखंड का भूपनगर गांव पहाड़ों के बीच बसा हुआ है. यहां पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है. जंगली और पथरीली रास्ते से होकर लोग आवागमन करते हैं. गांव में प्राथमिक विद्यालय है, जहां पर बच्चे पांचवीं तक की पढ़ाई करते हैं. पांचवीं के आगे की पढ़ाई करने के लिए गांव के छात्र-छात्राओं को पहाड़ से नीचे उतरकर 5 किलोमीटर दूर आमस जाना पड़ता है. यही वजह है कि 60 परिवार वाले इस गांव में सिर्फ दो से तीन बच्चे मैट्रिक पास हैं. आज हम इस गांव की कहानी इसलिए बताने जा रहे हैं क्योंकि आजादी के बाद पहली बार इस गांव में किसी युवक की सरकारी नौकरी लगी है.
भूपनगर गांव के रहने वाले नरेश कुमार को रेलवे में ग्रुप सी की नौकरी लगी है. पिछले दो महीने से महाराष्ट्र में ट्रेनिंग ले रहे हैं. नरेश के पिता मजदूरी करते हैं जबकि माता प्राथमिक विद्यालय भुपनगर में रसोईया का काम करती हैं. गांव में पहली बार किसी युवक की नौकरी लगने पर पूरे गांव में खुशी का माहौल है. नरेश चर्चा का विषय बना हुआ है और इससे गांव के दूसरे बच्चों में अब आस जगी है. नरेश ने अपनी मेहनत और जुनून के दम पर अपने गांव का नाम रोशन किया है.
रोजाना पैदल 5 किलोमीटर का सफर कर पूरी की शिक्षा
गांव से ही प्राथमिक विद्यालय में पांचवीं तक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद पहाड़ के नीचे मसुरीबार गांव से आठवीं करने के बाद हाई स्कूल आमस से मैट्रिक पूरी की. फिर इंटर की पढ़ाई शेरघाटी से की. वहीं, रहकर आईटीआई की पढ़ाई पूरी की. फिलहाल नरेश ग्रेजुएशन पार्ट टू में पढ़ाई कर रहा है. नरेश के लिए रेलवे की नौकरी बेहद मुश्किल रही है. आखिरी अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए उन्होंने जंगल और पहाड़ों के बीच में बसे भूपनगर गांव से रोजाना पैदल 5 किलोमीटर का सफर तय किया है.
पत्थर तोड़ और लकड़ी बेच बेटे को पढ़ाया
नरेश ने बताया कि घर की स्थिति बहुत खराब थी. माता-पिता उन दिनों पहाड़ में पत्थर तोड़ते थे और लकड़ी बेचकर मेरी पढ़ाई के लिए पैसे इकट्ठे करते थे. नरेश ने अपनी सफला का श्रेय माता-पिता के साथ गांव के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक जितेंद्र कुमार को दिया है. दरअसल इनके मार्गदर्शन में नरेश आगे की पढ़ाई करते चले गए है और आज उन्होंने इस मुकाम को हासिल किया है.
आर्मी की बहाली में चूके, लेकिन तैयारी जारी रखी
नरेश की मां चिंता देवी ने बताया कि बहुत कठिनाइयों से गुजरकर उनके पुत्र नरेश कुमार ने आज रेलवे में ग्रुप सी में नौकरी पाई है. जैसे तैसे लकड़ी बेचकर, पत्थर तोड़कर पैसे इकट्ठा किया. उसके बाद अपने पुत्र को पढ़ाया लिखाया. मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद शेरघाटी में किराए के मकान में रहकर नौकरी की तैयारी करने लगा. उसी दौरान आर्मी की बहाली में थोड़ी सी ऊंचाई के कारण चूक गया थे. फिर भी नरेश ने हार नहीं मानी. उसने लगातार मेहनत जारी रखी और नतीजा आज सामने है.
.
Tags: Government job, Indian Railways, Local18, Success Story
FIRST PUBLISHED : September 05, 2023, 11:20 IST