जगद्धात्री माता की त्रिकाल पूजा आज से शुरू, पुत्र रत्न की पूरी होती है मन्नत

आदित्य आनंद/गोड्डा. गोड्डा के सैदापुर स्थित जगद्धात्री माता का मंदिर जिले के साथ बिहार झारखंड में मशहूर है. कार्तिक माह के अक्षय नवमी के दिन से मां जगद्धात्री की पूजा शुरू होती है, जो तीन दिनों तक चलती है. जहां बिहार झारखंड से हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. यह पूजा खासकर बंगाली सभ्यता में अधिक मनाई जाती है, लेकिन गोड्डा के सैदापुर गांव में सन 1901 से भव्य रूप से पूजा अर्चना होती आ रही है और वर्षों से यहां तीन दिनों का भव्य मेला भी लगता है.

मंदिर कमिटी के प्रेम शंकर झा ने बताया कि जहां अक्षय नवमी से तीन दिनों तक त्रिकाल पूजा चलती है. वहीं हर एक दिन माता को छाग (पाठा) की बलि देने की परंपरा चलती है. जहां अक्षय नवमी के दिन हजारों छाग की बली दी जाती है. वहीं तीन दिन की पूजा यहां बंगाली परंपरा से की जाती है. जहां अक्षय नवमी की रात चित्रकार पूजा शुरू होती है, जो की एकादशी की रात तक चलती है.

कैसे गोड्डा में स्थापित हुई मां जगद्धात्री
मंदिर कमेटी के प्रेम शंकर झा ने बताया कि सन 1900 में इस गांव के श्री हीरालाल झा पश्चिम बंगाल के कोलकाता में वकालत किया करते थे, इस वक्त उन्होंने चंदनपुर में मां जगद्धात्री के विसर्जन को दिखा. इसके बाद उन्होंने जब मां के बारे में जानकारी प्राप्त की तो उन्हें पता चला की मां पुत्रदायिनी है, जिसके बाद उन्होंने भी मन्नत मांगी कि अगर उन्हें भी मां की कृपा से पुत्र की प्राप्ति होती है तो वह गुड्डा की सैदपुर में माता का भव्य मंदिर स्थापित करेंगे. जिसके बाद उन्हें पुत्र के रूप में श्री कमल कांत झा प्राप्त हुए और तब से सन 1901 से यहां मां जगद्धात्री कि भव्य पूजा अर्चना होती आ रही है.

उन्होंने बताया कि जब से यहां मां का मंदिर स्थापित हुआ है, तब से सैकड़ों भक्तों पर माता की कृपा हुई है और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है. इसके साथ मां के आशीर्वाद से कई भक्तों को अपने जीवन में सफलता मिली है.

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