जंक फूड खाने से बच्चों को हो सकती है गंभीर समस्या, जा सकती है आंखों की रोशनी

अनूप पासवान/कोरबा:- बच्चे खाने के मामले में बहुत चूजी होते हैं और बाहर का जंकफूड और पैकेज्ड उन्हें खूब पसंद आता है. लेकिन लगातार अनहेल्दी फूड की वजह से बच्चों के शरीर में विटामिन्स की कमी होने लगती है. रोज के खाने को छोड़कर बच्चे प्रोसेस्ड और शुगर वाली चीजों को खाना पसंद करने लगते हैं. विटामिन-ए एक ऐसा जरूरी विटामिन है, जो शरीर खुद नहीं बना सकता है. इसलिए बच्चों के आहार में विटामिन-ए युक्‍त चीजों को शामिल करना जरूरी है. अगर बच्चों में इसकी कमी होती है, तो उन्हें गंभीर समस्या झेलनी पड़ सकती है. बच्चों में विटामिन-ए की कमी के कारण, लक्षण और उपाय को लेकर हमने कोरबा मेडिकल कॉलेज में पदस्थ नेत्र रोग विशेषज्ञ अंकिता कपूर से बात की.

इन दिनों बच्चों में हो रही विटामिन-ए की कमी को लेकर नेत्र रोग विशेषज्ञ ने बताया की बच्चों को सही और पौष्टीक आहार नहीं मिल पा रहा है, जिसके कारण बच्चों मे विटामिन-ए की कमी हो रही है. इसकी कमी से बच्चों के आंखों की रोशनी भी जा सकती है. इस ओर पैरेंट्स को खास ध्यान देना चाहिए, क्योंकि विटामिन-ए एक ऐसा जरूरी विटामिन है, जिसे शरीर खुद नहीं बना सकता है. इसलिए बच्चों के आहार में विटामिन-ए युक्‍त चीजों को शामिल करना जरूरी है.

क्या है विटामिन-ए की कमी के लक्षण
1. बच्चों को रात मे कम दिखना, जिसे रतआउंधा भी कहा जाता है.
2. आंखों की रोशनी कम होना
3. बच्चों की आंखों मे रुखापन और सूजन
4. आंखों की पुतलियों पर उल्सर

ऐसे करें बच्चों में विटामिन-ए की कमी को दूर
1. बचपन से ही पैरेंट्स को बच्चों के आहार को लेकर सतर्क रहना चाहिए और उन्हें पौष्टिक आहार खिलाना चाहिए.
2. विटामिन-ए की कमी को रोकने के लिए लोगों को गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां, पीले और नारंगी फल (जैसे पपीता और संतरे), गाजर, और पीली सब्जियां (जैसे स्क्वैश और कद्दू) खानी चाहिए.
3. दूध दही, अंडा, चिकन कुछ प्रकार की मछलियाँ जैसे सैल्मन, अनाज, चावल आलू, गेहूं और सोयाबीन का सेवन करने से विटामिन-ए की कमी दूर होती है.

स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलता है अभियान
विशेषज्ञ ने बताया कि बच्चों में विटामिन ए की कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा अभियान चलाकर 9 माह से 5 साल तक के बच्चों को विटामिन-ए की खुराक दी जाती है. 9 माह से 12 माह तक बच्चों को नियमित टीकाकरण के दौरान एमआर के प्रथम टीके के साथ एक मिलीलीटर (एमएल) विटामिन-ए की खुराक पिलाई जाती है. 16 माह से 24 माह के बच्चों को एमआर के दूसरे टीके के साथ दो एमएल देनी होती है. हर 6 माह पर बाल स्वास्थ्य पोषण माह के दौरान 2 साल से 5 साल तक के बच्चों को दो एमएल घूट पिलाई जाती है.

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