छोड़े देती तो मजे में रहती, पकड़ लिया तो लुट गई पुलिस! नाइजीरिया के शख्स को…

(मिथिलेश गुप्ता), इंदौर. अजब एमपी की गजब तस्वीर. प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर से कमाल का मामला सामने आया है. इंदौर के एक थाने में नाइजीरियन आरोपी को रखना पुलिस को महंगा पड़ गया. इस युवक को वापस उसके देश भेजने तक की प्रक्रिया में पुलिस को 5 लाख रुपये खर्च करने पड़े. वीजा और पासपोर्ट नहीं मिलने के कारण पुलिस को उसे मेहमान की तरह साढ़े पाच महीने रखना पड़ा. हालांकि, इस पूरे मामले में पुलिस की ही गलती थी. पुलिस ने इस शख्स को ऑनलाइन ठगी के आरोप में गिरफ्तार तो कर लिया था, लेकिन कोर्ट में सबूत पेश नहीं कर सकी. पुलिस की नादानी की वजह से नाइजीरियन युवक को ढाई साल जेल में रहना पड़ा.

दरअसल, एक बुजुर्ग महिला से ऑनलाइन धोखाधड़ी में इंदौर की साइबर सेल ने दिल्ली से आरोपी विज्डम ओबिन्ना चिमिजी को गिरफ्तार किया था. उसकी जांच के बाद विज्डम को जेल हो गई. ढाई साल जेल में रहने के बाद उसके वकील ने केस लड़ा. इस दौरान चौंकाने वाली बात हुई. पुलिस ने आरोपी के खिलाफ जिन धाराओं में केस दर्ज किया था उसमें एक भी साक्ष्य कोर्ट में उपलब्ध नहीं करवा सकी. इस पर कोर्ट ने पांच महीने पहले उसे दोष मुक्त कर दिया. पुलिस ने अपनी नादानी से सिर्फ मोबाइल सिम और आईपी एड्रेस के आधार पर उसे मुलजिम बनाकर ढाई साल जेल में कटवा दिए.

पुलिस को देनी पड़ीं सारी सुविधाएं
दोष मुक्त होने के बाद विज्डम इंदौर पुलिस के लिए सिर का दर्द हो गया. चूंकि, इन ढाई सालों में एक तरफ उसका पासपोर्ट एक्सपायर हो गया, तो दूसरी तरफ उसे वीजा और इमरजेंसी ट्रेवलिंग सर्टिफिकेट नहीं मिला. उसके बाद वह इंदौर पुलिस का मेहमान बन गया. पुलिस को उसे मेहमानों की तरह थाने में रखना पड़ा. पुलिस को उसे एक कमरा देना पड़ा, उसे खाने-पीने के साथ-साथ सारी सुविधाएं देनी पड़ीं. उसकी निगरानी में 4 महीनों तक एक गार्ड भी रखना पड़ा. विज्डम ने news18 से बातचीत में कहा कि भारत एक अच्छा देश है. उसने इंदौर पुलिस की भी तारीफ की. विजडम ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया में थोड़े बदलाव की जरूरत है. विदेशी नागरिक अगर किसी केस में अरेस्ट होता है तो उसे जमानत कैसे मिलेगी, उसकी परिवार के साथ बातचीत कैसे होगी. इन सब प्रक्रियाओं में बदलाव की जरूरत है.

जेल में सीखी हिंदी, यादें लेकर जा रहे
अपने देश नाइजीरिया जाने को लेकर विज्डम काफी खुश थे. वह अपने साथ इंदौर के दोस्तों की यादें लेकर जा रहे हैं. विज्डम ने जेल में ही हिंदी बोलना सीखा. इस बारे में उन्होंने कहा कि जेल और थाने में मुझे अंग्रेजी की वजह से काफी दिक्कत हो रही थी. यहां की पुलिस इंग्लिश नहीं समझ पा रही थी. इसलिए मैंने हिंदी बोलना सीख लिया. जेल में भी मुझे काफी दिक्कत हो रही थी. मुझे जेल में जेल में बंद कैदियों ने हिंदी सिखाई. वे मेरे अच्छे दोस्त बन गए. मैं साढ़े पांच महीने इंदौर के एमजी रोड थाने में मेहमान की तरह रहा हूं. यहां के पुलिस जवानों और थाना प्रभारी ने भी मुझे मेहमान की तरह रखा. मुझे कपड़े खाना पीना हर चीज की व्यवस्था करके दी.

Tags: Indore news, Mp news

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