छोटी सी उम्र में बच्चे क्यों छोड़ रहे घर? मनोरोग विशेषज्ञ से जानें इसकी वजह

अनूप पासवान/कोरबाः पढ़ने-लिखने की उम्र में लड़के-लड़कियां घर छोड़कर भाग रहे हैं. समय के साथ यह प्रवृति गंभीर होती जा रही है. इससे महिलाएं और बच्चों पर नजर रखने वाली सामाजिक संस्थाएं चिंतित हैं. छोटी उम्र में बच्चों का घर छोड़कर भाग जाना परिवार के लिए बेहद ही डरावना समय होता है, इसके साथ ही पुलिस के लिए भी सिर दर्द बनते हैं. कई मामलों में छोटे बच्चों को प्रलोभन देकर के अपने साथ ले जाने जैसा मामला भी सामने आता है. समाज में बढ़ती इस तरह की गंभीर प्रवृत्ति को देखते हुए लोकल 18 की टीम ने मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर नीलिमा महापात्रा से बातचीत की.

मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर नीलिमा महापात्रा ने बताया कि बढ़ती उम्र के साथ बच्चों में मानसिक और शारीरिक रूप से अलग-अलग बदलाव होते हैं. साथ ही टीनएजर ग्रुप के बच्चों में हार्मोनल बदलाव होते हैं. जिसकी वजह से बच्चों का व्यवहार भी बदल जाता है. उन्होंने बताया कि बस बात इतनी सी है, कि सही समय पर बच्चों के माता-पिता उसे सही और गलत चीजों के बारे में बताएं, जिससे बच्चा भी खुलकर आपसे बातचीत करें. पढ़ाई के साथ-साथ बच्चे को अच्छी सामाजिक ज्ञान की भी जरूरत होती है. इसलिए बच्चों को घुमाएं और उन्हें सामाजिक जीवन से परिचय कराएं.

10 साल की उम्र से बच्चों का रखें ध्यान
मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर नीलिमा महापात्रा ने बताया कि इन दिनों छोटे-छोटे बच्चों द्वारा किए जा रहे अपराध के मामले सामने आ रहे हैं. इन सब चीजों के लिए कोई और नहीं स्वयं उनके परिजन भी जिम्मेदार होते हैं. समय के साथ बच्चों को अगर सही और गलत चीज ना सिखाई जाएं तो बच्चे अपनी एक अलग राह चुन लेते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान समय में 10 वर्ष के बच्चों के साथ माता और पिता को दोस्ताना व्यवहार करना चाहिए और उन्हें सही और गलत का फर्क सीखना चाहिए. माता और पिता बच्चों से खुलकर बात करें जिससे बच्चों को भी किसी चीज को बताने में झिझक ना हो.

जरूरी नहीं की सभी जिद्द की जाए पूरी
मनोरोग विशेषज्ञ ने बताया कि व्यक्ति बच्चों की आदत होती है, जिद करना और जरूरी नहीं की बच्चों की हर जिद पूरी की जाए. हद से ज्यादा लाड़-प्यार भी बच्चों को बिगाड़ देती है. छोटे बच्चों के द्वारा होने वाली गलती पर उन्हें डांटे या मारे भी नहीं बल्कि साथ में बैठ कर एक दोस्त की तरह समझाएं.

नोटः यहां दी गई जानकारी सिर्फ मनोरोग विशेषज्ञ से बातचीत पर आधारित है. सभी तथ्यों की न्यूज 18 पुष्टि नहीं करता है.

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