रामकुमार नायक/रायपुरः सनातन धर्म में छठ पर्व को विशेष महत्व है और यह भारत के विभिन्न हिस्सों में महापर्व के रूप में मनाया जाता है, जिसमें छठी मां की पूजा की जाती है. छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, और देशभर में यह त्योहार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है. राजधानी में, महादेवघाट पर सबसे बड़ा आयोजन होता है, जिसमें घाट के आसपास लगभग एक किलोमीटर तक पूजन वेदियां बनाई जाती हैं और अर्घ्य देने का विशेष आयोजन किया जाता है.
ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि छठ पूजा में सूर्यदेव की विशेष पूजा की जाती है और यह पर्व भारत के बिहार राज्य के अलावा उत्तर प्रदेश, झारखंड में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. अब तक कुछ साल से बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग छत्तीसगढ़ में जीविकोपार्जन के लिए रह रहे हैं, जिससे छठ पूजा की परंपरा उस राज्य में भी फैली है. इस दिन माताएं अपने संतान के दीर्घायु सुखमय जीवन के लिए व्रत रखती हैं और यह पर्व 4 दिन का होता है. पहले दिन नहाय खाय की परंपरा से इसकी शुरुआत होती है.
छठ पूजा के दूसरें दिन करें ये काम
छठ पूजा के दूसरे दिन, मीठा भात का भोग भगवान को अर्पित किया जाता है और लौकी की खिचड़ी बनाई जाती है. तीसरे दिन, व्रती भक्त भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए तैयारी करते हैं. इस दिन को बड़ी व्रत कहा जाता है, जिसमें सूर्यदेव को डूबते हुए अर्घ्य दिया जाता है. विभिन्न प्रकार के भोग ठेकवा में सजाए जाते हैं, और परिवार के साथ मिलकर अर्घ्य दिया जाता है. इसके अगले दिन, सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने से इस व्रत की विधि पूरी होती है.
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FIRST PUBLISHED : November 14, 2023, 19:02 IST