छत्तीसगढ़ के सरई बाबा की उम्र है 417 बरस, अभी भी हैं पूरे तंदरुस्त, फल-फूल रहे

लखेश्वर यादव/जांजगीर चांपा. धमतरी जिले के दुगली गांव में 417 साल पुराना सरई वृक्ष है. इस पेड़ को लोग आज भी कुदरत का करिश्मा मानते है और इसे देव के रूप मे पूजा पाठ कर रहे है. वन विभाग इस पेड़ को वन धरोहर का दर्जा दिलाने कोशिश में जुटा है. बता दें कि यह प्रदेश का दूसरा सबसे पुराना पेड़ है.

धमतरी से 50 किलोमीटर दूर दुगली गांव के जंगलों के बीच मौजूद खास किस्म का यह सरई पेड़ है जो उम्रदराज होने के मामले मे सूबे में दूसरा मुकाम रखता है. इस पेड़ की खासियत के चलते लोग इसे सरई बाबा के नाम से पुकारते हैं. इसकी पूजा करते हैं. यह पेड़ लोगों को साफ हवा के साथ फल भी दे रहा है. किसी अजूबे की तरह लगने वाले इस पेड़ को जिले के वन महकमे ने अब एक धरोहर मान लिया है. पेड़ के रख-रखाव में कोई कसर बाकी नहीं रख रहा है.

वन विभाग ने इस 417 वर्ष पुराने पेड़ को मदर-ट्री का दर्जा दिया है. बोर्ड लगाकर संरक्षित किया है. इसे सरई बाबा का नाम दिया है. ग्रामीण क्षेत्र में यह पेड़ बहुत महत्वपूर्ण है. इस पेड़ की लम्बाई 45 मीटर और गोलाई 446 सेमी है. इसे वन धरोहर का दर्जा दिलवाने शासन को प्रस्ताव भेज दिए जाने की बात कह रहा है.

स्थानीय सुरेश कुमार साहू ने बताया कि ये सरई का वृक्ष जो अपने आप मे किसी कुदरत के करिश्मे से कम नहीं है. ये पेड़ सामान्य सरई (साल) वृक्ष से तीन से चार गुना ज्यादा मोटा और और बड़ा है. जिसके चलते पूरे दुगली इलाके के लोग इसे देव रूप मान कर इस वृक्ष की पूजा करते हैं. साथ ही इस पेड़ को अपना पूर्वज मानते हैं.

लोगों को अगर कोई परेशानी या तकलीफ होती है तो उसे सरई बाबा के साथ साझा करते हैं. जिससे लोगों की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं. साथ ही अगर किसी घर में शादी ब्याह, जन्मोत्सव हो या कोई भी नया कार्य शुरू करने जा रहे हों तो उससे पहले इलाके के लोग इसकी पूजा आराधना करने के बाद कार्य शुरू करते हैं.

Tags: Chhattisgarh news, Local18

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *