सौरभ तिवारी/बिलासपुरः- अगर मन सच्चा हो और सच्चे मन से किसी काम को करने की लगन हो, तो आप किसी भी मुकाम को हासिल कर सकते हैं. इसके लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती है. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में रहने वाली अभित्शा ने इस बात का उदाहरण पेश किया है. बिलासपुर के बीचों-बीच अरपा नदी बहती है, जहां जलकुंभी की समस्या लंबे समय से है. इसके निपटारे के लिए निगम द्वारा भी कई प्रयास किए गए, लेकिन करोड़ों की सफाई और मशीन मंगवाने के बाद भी इसका हल नहीं निकला. वहीं जलकुंभी की इस समस्या से शहरवासी गंदी बदबू और नदी के खराब पानी से परेशान भी थे. लेकिन 9वीं की छात्रा अभित्शा ने इस समस्या का ऐसा हल निकाला, जिससे उसकी तारीफ देश-दुनिया में हो रही है.
जलकुंभी पर किया रिसर्च
9वीं की छात्रा अभित्शा ने देखा कि शहर के तालाबों और नदियों में जलकुम्भी की समस्या काफी बढ़ी है. जिसके बाद उन्होंने जलकुंभी पर पढ़ना और रिसर्च करना शुरू किया. अभित्शा ने अपने रिसर्च में पाया कि इन्हें समाप्त करने के लिए इफेक्टिव तरीका मौजूद नहीं है. वर्तमान में इसके निपटान में दो ही तरीके अपनाए जा रहे हैं. एक केमिकल तरीका है, लेकिन केमिकल से पानी में प्रदूषण काफी बढ़ जाता है और अन्य सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं. दूसरी तरफ मशीन से सफाई की लागत काफी ज्यादा होती है. अभित्शा ने अपने रिसर्च में पाया कि जलकुम्भी से निपटने में ‘नियोचेतिना इचोर्निया’ नाम के कीट काफी असरदार हो सकते हैं. यह कीट जलकुम्भी खा कर जीवित रहते हैं और यह तेजी से फैलते हैं. जिससे इन्हें आइडिया आया कि इसका इस्तेमाल कर जलकुम्भी को लम्बे समय तक पनपने से रोका जा सकता है.
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छोटी-सी जगह में किया प्रयोग
लिहाजा अभित्शा ने एक छोटी-सी जगह पर इसका प्रयोग करके देखा, जहां उन्हें सफलता मिली. जागरूकता फैलाने के लिए उन्होंने अपने प्रोजेक्ट को इंटरनेशनल कंटेंट ऑन सस्टेनेबल एजुकेशन में सबमिट किया, जहां इनके प्रोजेक्ट को तीसरा स्थान मिला. अब इनके इस रिसर्च और पर्यावरण के प्रति इनके लगाव की तारीफ देश-दुनिया में हो रही है. वहीं अब प्रशासन को जरूरत है कि अभित्शा के इस रिसर्च पर ध्यान दिया जाए, ताकि इसके उपयोग से जलकुंभी की समस्या का निपटारा हो सके.
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FIRST PUBLISHED : February 24, 2024, 12:32 IST