विक्रम कुमार झा/ पूर्णिया : लोक आस्था का महापर्व छठ व्रत में व्रती को कईकठिन साधनाओंसे होकर गुजरना पड़ता है. वहीं अगर छठ पर्व की बात करें तो इस पर्व को कार्तिक महीने में मनाया जाता हैं. वही इस की शुरुआत नहाय-खाय से शुरू होकर प्रातःकालीन अर्ध्य देने के साथ इसकासमापन किया जाता है. इस पर्व में कई ऐसी नियम है जिसको मानना पड़ता है.
इसमें मुंह धोने से लेकर खाने और कपड़े तक का विशेष रुप से ख्याल रखना पड़ता है. यह पर्व लोक आस्था के साथ साक्षात दिखने वाले सूर्य देव हैं, जो लोगों को अपने प्रकाश में रखते और भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं. पर क्या आप जानते हैं कि इस व्रत को करने वाले आखिर आम की लकड़ी से दातून क्यों करते हैं. इस पर विशेष जानकारी पंडित दयानाथ मिश्र ने दी.
आम की लकड़ी होती है अत्यंत पवित्र
जानकारी देते हुए कई छठ व्रती और ज्योतिष के जानकर पंडित दयानाथ मिश्र कहते हैं कि इस छठ महापर्व को साक्षात सूर्यदेव की आराधना कराते हैं. जिससे लोगों को जीने के लिए हर तमाम ऊर्जा मिलती हैं. उन्होंने कहा इस पर्व में बहुत मान्यताएं हैं, जिसमें एक खास मान्यताएं.
छठ व्रती आम के दातून से अपना मुंह धोती हैं इसके पीछे की रहस्य है कि आम के दातून से मुंह धोने से दांत से खून नहीं निकलता. आम अत्यंत पवित्र होता है. विवाह में जनेऊ में किसी या किसी भी शुभ कार्य में आम पल्लव, आम का लकड़ी, आम की लकड़ी की बनी वस्तुओं का बहुत प्रयोग होता है.
ये हैं पौराणिक मान्यताएं
इसलिए हिंदू धर्म में आम सर्वोत्तम माना गया है. पंचपल्लव में सबसे अति उत्तम आम है.. इसलिए उसका स्वाद भी सबसे भिन्न होता है. वह अत्यंत कोमल होता है. दांत और मसूड़ों में किसी तरह का दबावनहीं हो व्रती को किसी तरह का कष्ट नहीं हो इसके लिए पूर्वजों और संतों के काल से ही आम को मान्यता दी गई है. आम के दातुन से व्रती महिला और पुरुष अपने दांत धोती है. उन्होंने कहा आम का दातुन गैस के लिए सही है. चार दिनछठ व्रती उपवास में रहती हैं. ऐसे में गैस की समस्या हो जाती है.आम केदातुन से गैस समाप्त होता है. मन उसका प्रसन्न रहता है. प्रफुल्लित रहता है, इसलिए उसको कोई परेशानी नहीं होती.
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FIRST PUBLISHED : November 17, 2023, 14:57 IST