गौरव सिंह/भोजपुर. लोक आस्था का वहां पर्व छठ की तैयारी परवान पर है. छठ को लेकर बाजार में भी रौनक बढ़ गई है. घाटों की साफ सफाई शुरू है तो बाजार में बर्तनों की खरीदारी के लिए अच्छी खासी भीड़ जुड़ रही है. छठ पर्व के लिए पीतल के बर्तन व सूप की मांग बढ़ गई है. पीतल पूजा के लिए शुद्धता का प्रतीक है, जबकि छठ पर्व भी स्वच्छता को ही परिलक्षित करता है. भगवान सूर्य को खुश करने के लिए पीतल और फुल्हा बर्तन इस्तेमाल छठ व्रती करती हैं.
वैसे छठ में बांस से बने सूप व दउरा से अर्घ्य देने की पुरानी परंपरा है. अमीर-गरीब सहित हर तबके के लोग बांस के सूप व दउरा की खरीदारी करते हैं. छठ के मद्देनजर बाजार में बिकने भी लगा है, लेकिन समय के साथ पीतल के बर्तनों का चलन बढ़ रहा है. इस कारण पीतल के बर्तनों से दुकान सज गए हैं. आरा के गोपाली चौक व अन्य बाजार के दुकानों पर छठ पूजा के लिए पीतल के बर्तन देखे जा सकते हैं. इसमें सूप, परात व पूजा का कलश आदि बिक रहे हैं. सूप पर सूर्य भगवान को अर्घ्य देती महिला की कलाकृति भी बनी है. जिस पर ‘जय हो छठ मइया’ भी लिखा है. आरा के बाजार में महंगे कीमत पर सूप और बर्तन बिक रहे हैं.
भगवान सूर्य का प्रतीक माना जाता है पीला सामग्री
आरा के हनुमान मंदिर के महंत सुमन बाबा बताते है कि पीतल को पूजा के लिए शुभ माना जाता है. छठ व्रत में शुद्धता का पूरा ख्याल रखा जाता है. इसलिए पीतल के बर्तन का इस्तेमाल करते हैं. पीतल के बर्तन का इस्तेमाल अन्य पूजा में भी होता है. पीतल व फुल्हा बर्तन का इस्तेमाल आदि काल से होते आ रहे है. सुमन बाबा ने बताया कि सूर्य भगवान का प्रतीक पीला सामग्री होता है और पीतल या फुल्हा बर्तन भी पीला ही होता है, इसलिए छठ व्रती भगवान सूर्य को खुश करने के लिए पीला सामग्रियां का इस्तेमाल करते है. चाहे वह धोती हो या पीतल और फुल्हा का बर्तन. आज देने के दौरान ज्यादातर सामग्री पीला ही होता है.
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FIRST PUBLISHED : November 13, 2023, 23:35 IST