छठ पर्व में क्यों होती है षष्ठी देवी की पूजा, क्या है पौराणिक महत्व,

 परमजीत कुमार/देवघर. इस बार छठ पर्व 17 से 20 नवंबर तक चलने वाला है. यह पूजा हर सालकार्तिक माह के षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस माह पर्व में षष्ठी देवी और भगवान सूर्य की उपासना की जाती है. माना जाता है किविधि विधान और पूरे श्रद्धा के साथ षष्ठी देवी और भगवान सूर्य की आराधना करने से सारीमनोकामनाएं जरूर पूर्ण होती हैं. यह पर्व बड़ी ही शुद्धता और सफाई के साथ मनाया जाता है. इसमें षष्ठी देवी की पूजा क्योंकि जाती है, इसका क्या पौराणिक महत्व है. आइये जानते हैं देवघर के ज्योतिषी से…

देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 से कहा कि छठ महापर्व में माता षष्ठी और सूर्य की उपासना की जाती है. छठ मैया को ही षष्ठी माता और मातृ देवी भी कहा जाता है. धार्मिक ग्रंथो में उल्लेख है कि माता सीता ने भी छठ महापर्व की था. इसके साथ ही द्रौपदी मैं भी छठ महापर्व की थी. जिन महिलाओं को संतान नहीं हो रहा है वह इस पर्व में पूरे श्रद्धा और आस्था के साथ षष्ठी देवी की पूजा करती है,उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. साथ ही भगवान सूर्य की भी उपासना इस पर में किया जाता है जो सभी तरह के शारीरिक कष्ट से मुक्ति दिलाता है. ज्योतिषाचार्य बता रहे हैं कि षष्ठी देवी ब्रह्मा जी की मानस पुत्री है.

क्या कहती है पौराणिक कथा
ज्योतिष आचार्य ने आगे कहा कि षष्ठी देवी ब्रह्मा जी की मानस पुत्री है और निःसंतान प्राप्ति के लिए इस देवी की पूजा की जाती है. एक पौराणिक कथा के अनुसार राजा प्रियव्रत का संतान नहीं हो रहा था. राजा प्रियव्रत अपने कुलगुरु महर्षि कश्यप के पास पहुंचे और इस समस्या का उपाय पूछा. तब महर्षि कश्यप ने पुत्र की कामना के लिए यह करने का सुझाव दिया. इसके बाद राजा ने यह कराया और महारानी मालिनी को पुत्र जन्म हुआ लेकिन वह पुत्र मरा हुआ पैदा हुआ.जिसके बाद बाद क्रोध में आकर राजा प्रियाव्रत जलते हुए अग्नि मे प्राण को त्यागने के लिए त्यार हुए.उसी समय ब्रह्मा जी की मानस पुत्री षष्ठी देवी प्रकट हुई और राजा को बोली जो मेरी पूजा करेगा उसकी संतान की रक्षा मे करुंगी और मातृदेवी हूं और षष्ठी देवी ने राजा प्रियाव्रत के मृत बच्चे पर हाथ फेरते हुए उसको ज़िंदा कर दीये. यह घटना कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को था. तब से यह पर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होने लगा.

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FIRST PUBLISHED : November 15, 2023, 21:07 IST

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