चेरी की खुशबू से महक रहे बोधगया के गांव, 200 रुपए किलो हो रही बिक्री

कुंदन कुमार/गया. फूलों की खेती बिहार के किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है. यही कारण है कि बिहार के गया जिले में भी अब बड़े पैमाने पर इसकी खेती होने लगी है. गया के बोधगया प्रखंड क्षेत्र में कई किसान हैं, जो फूलों की खेती से जुड़े हुए हैं. यहां गेंदा, गुलाब और चेरी फूल की खेती होती है. फिलहाल यहां के किसानों ने खेतों में चेरी लगाया हुआ है. इससे उन्हें अच्छी कमाई होने की उम्मीद है.

सबसे अच्छी बात यह कि इसके लिए उन्हें बाजार तलाशने की भी जरूरत नहीं होती है. सारा फूल गया में ही स्थित विश्व प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर, विष्णुपद मंदिर और मंगला गौरी मंदिर में पूजा-पाठ के लिए खरीद लिया जाता है.

200 रुपए प्रति किलो तक रेट
बोधगया के बकरौर गांव के आधा दर्जन किसान पिछले 10 वर्षों से लगभग 5 बीघा में चेरी फूल की खेती कर रहे हैं. अन्य फूलों की तुलना में यह काफी महंगा बिकता है. बाजार में इसकी कीमत 100 से 200 रुपए प्रति किलो तक होती है. इसकी खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है. इस फूल की खेती से किसानों को प्रति कट्ठा 10-15 हजार रुपए की कमाई हो जाती है.

देसी और विदेशी पर्यटक जब बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर घूमने आते हैं, तो पूजा-पाठ के लिए इस फूल को मंदिर में चढ़ाते हैं. इसके अलावा इसका इस्तेमाल शादी-विवाह में भी डेकोरेशन के लिए किया जाता है. चुनावी सीजन होने के कारण इस बार रेट ज्यादा मिलेगा.

5 कट्ठा में एक सीजन में 50 हजार की कमाई
गांव के रहने वाले किसान सियाराम भगत बताते हैं कि चेरी फूल की खेती अक्टूबर-नवंबर से शुरू हो जाती है, जो अप्रैल तक चलती है. वे बताते हैं कि इसके अलावा यहां के किसान गेंदा और गुलाब की भी खेती करते हैं. इन्होंने भी 6 कट्ठा में व्हाइट और येलो दो वैरायटी का चेरी लगा रखा है.

सियाराम बताते हैं ज्यादातर किसान गेंदा और चेरी की ही खेती कर रहे हैं. इसमें उन्हे पांच कट्ठा में लगभग 50 हजार की कमाई हो जाती है. सियाराम की माने तो फूल की खेती में मेहनत और खर्च भी काफी लगता है. किसान फूल तोड़कर इसका माला गुंथवाते हैं. इसके बाद गया, बोधगया और अन्य बाजारों में बेचते हैं.

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