चुनाव के नतीजे घोषित होने के 2 दिन पहले ही BJP नेता को पता था रिजल्ट: दिग्विजय सिंह का दावा

कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मंगलवार को दो स्क्रीनशॉट शेयर किए. एक स्क्रीनशॉट फेसबुक पोस्ट का शेयर किया और दूसरा भारत चुनाव आयोग की वेबसाइट के इलेक्शन रिजल्ट पेज का. उन्होंने लिखा, “इन दो तस्वीरों पर गौर करें. रेड बैकग्राउंड में BJP कार्यकर्ता लिख रहे हैं खाचरौद विधानसभा चुनाव में किसे कितने वोट गिरे और कौन कितने वोट से जीत रहा है. महत्वपूर्ण यह है कि यह पोस्ट मतगणना से 2 दिन पहले यानी 1 दिसंबर को ही लिख दी गयी थी. अब नतीजे के बाद की तस्वीर से मिला लें.”

नागदा-खाचरौद सीट का क्या रहा रिजल्ट

मध्य प्रदेश की नागदा-खाचरौद सीट पर बीजेपी के डॉ. तेजबहादुर सिंह चौहान ने कांग्रेस के दिलीप सिंह गुर्जर को 15927 वोटों से हराया. दिग्विजय सिंह ने जिस फेसबुक पोस्ट का जिक्र किया था, से मूल रूप से अनिल छाजेड़ की प्रोफाइल से पोस्ट किया गया था. अनिल छाजेड़ खुद को ‘डिजिटल क्रिएटर’ बताते हैं. अनिल छाजेड़ के पेज पर 5000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. इस प्रोफाइल में छाजेड़ की विजयी बीजेपी उम्मीदवारों के साथ और पार्टी की रैलियों में कई तस्वीरें हैं. साथ ही इस प्रोफाइल में बीजेपी का समर्थन करने वाले पोस्ट हैं.

1 दिसंबर की पोस्ट में छाजेड़ ने लिखा, “उज्जैन जिले के विधानसभा क्षेत्र में 1,78,364 वोट पड़े. बीजेपी उम्मीदवार को 93000 वोट मिले, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 77000 वोट मिले. काउंटिंग से 2 दिन पहले बीजेपी उम्मीदवार के वोटों की अनुमानित संख्या 93,552 और कांग्रेस उम्मीदवार के वोटों की अनुमानित संख्या 77,625 बताई गई. जो 3 दिसंबर को आए नतीजे के समान थी.

बीजेपी नेता ने कसे तंज

दिग्विजय सिंह के आरोप के बारे में पूछे जाने पर बीजेपी नेता और विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा, “उन्हें (सिंह) किसी पर भरोसा नहीं है, उन्हें ईवीएम पर भरोसा नहीं है, उन्हें खुद पर भरोसा नहीं है.” हालांकि, बीजेपी ने इस बात की पुष्टि या खंडन नहीं किया है कि अनिल छाजेड़ पार्टी पदाधिकारी हैं या नहीं.

दिग्विजय ने ईवीएम पर भी मढ़ा दोष

इससे पहले दिग्विजय सिंह ने विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के लिए ईवीएम को भी जिम्मेदार ठहराया है. मंगलवार को उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कई ट्वीट किए. दिग्विजय सिंह ने लिखा, “पोस्टल बैलेट के जरिए हमें यानी कांग्रेस को प्रदेश की 199 सीटों पर बढ़त मिली. जबकि इनमें से अधिकांश सीटों पर ईवीएम काउंटिंग में हमें मतदाताओं का पूर्ण विश्वास न मिल सका है.” ईवीएम पर सवाल खड़े करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि ये भी कहा जा सकता है कि जब तंत्र जीतता है तो जनता (यानी लोक) हार जाती है.” 

उन्होंने एक पोस्ट में कहा, “चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है. मैंने 2003 से ईवीएम से वोटिंग का विरोध किया था. क्या हम अपने भारतीय लोकतंत्र को पेशेवर हैकरों से कंट्रोल नियंत्रित करने की अनुमति दे सकते हैं! यह मौलिक सवाल है, जिसे सभी राजनीतिक दलों को संबोधित करना होगा. चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट क्या आप कृपया हमारे भारतीय लोकतंत्र की रक्षा करेंगे?” 

X पर सिलसिलेवार पोस्ट में दिग्विजय सिंह ने कहा, “हमारे पास कुल 230 विधानसभा सीटों के आंकड़े हैं. पोस्टल बैलेट के जरिये कांग्रेस और बीजेपी को पड़े कुल वोटों की संख्या का विश्लेषण के लिए पेश है.” उन्होंने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सोचने वाली बात ये है कि जब जनता वही है, तो वोटिंग पैटर्न इतना कैसे बदल गया? 

राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने मतदाताओं का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि हमें गर्व है कि हमारे जमीनी कार्यकर्ताओं ने जी जान से कांग्रेस के लिए काम किया और लोकतंत्र के प्रति अपने विश्वास को पुख्ता किया है.

बता दें कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में 114 सीटों पर जीत दर्ज कर प्रदेश में अपनी सरकार बनाई थी, लेकिन 15 महीनें से भी कम समय में कांग्रेस की सरकार गिर गई और बीजेपी ने दोबारा सत्ता में वापसी की. 

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