लंदन. चीनी सरकार ने बीते कुछ सालों में मस्जिदों की संख्या और आकार पर निगरानी करना शुरू कर दिया है जिससे निंग्जिया और गांसु जैसे इलाकों में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है. चीन के सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में ह्यूमन राइट्स वॉच के रिसर्चर्स ने मस्जिदों को लेकर सर्वे किया है. इसमें मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के डेविड स्ट्रप और प्लायमाउथ विश्वविद्यालय की लेक्चरर हन्ना थेकर ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में बताया है कि 2016 से ही धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों पर सरकारी पकड़ मजबूत हुई और 2018 में चीन ने तो बाकायदा इसको लेकर निर्देश जारी किया था.
रिसर्चर्स डेविड स्ट्रप और हन्ना थेकर ने बताया कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) ने सरकारी अफसरों से कहा था कि मस्जिदों का ले-आउट और निर्माण को लेकर कानून का पालन करना होगा. राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन में धर्मों के चीनीकरण का आह्वान भी किया था. इसके बाद से मस्जिदों समेत अन्य पूजा- प्रार्थना स्थलों के स्वरूप में बदलाव सामने आया है. अब सरकारी अधिकारी ज्यादा ध्वस्त और कम निर्माण के सिद्धांत का पालन करा रहे हैं.
सैटेलाइट फोटो से एनालिसिस और हालात की जांच
सर्वे के दौरान रिसर्चर्स डेविड स्ट्रप और हन्ना थेकर ने सैटेलाइट फोटो से एनालिसिस करने और मौके पर हालात की जांच भी की गई. इसमें पाया गया कि कई मस्जिदों से मीनारों को हटा दिया गया था तो कुछ के गुंबद पूरी तरह बदल दिए गए थे. इमारतों को ढहाने, पूरा बदल देने या फिर उनके वजूखाने को तोड़ देने की बात भी सामने आई है. वजूखाना हटा देने या तोड़ देने से मस्जिद का इस्तेमाल संभव नहीं होता है.
सैकड़ों मस्जिदों को बंद करा दिया, सरकार कर रही सख्ती
उन्होंने पाया कि कई मस्जिदों को बीते 3-4 सालों में ही हटा दिया गया है. अवैध मस्जिदों को लेकर सबसे ज्यादा सख्ती बरती गई. सरकारी अफसरों ने मस्जिद के निर्माण की अनुमति, नक्शे और ले-आउट की अनुमति और मौके पर हुए निर्माण की बारीकी जांच की थी. थेकर और स्ट्रूप का अनुमान है कि अलग-अलग इलाकों बंद होने वाली मस्जिदों की संख्या सैकड़ों में है. बंद होने के अलावा मस्जिदों को बदल भी दिया गया है. उन्होंने कहा कि एकदम सटीक संख्या नहीं बताई जा सकती लेकिन मुस्लिम बहुत क्षेत्रों में यह 1 हजार से अधिक भी हो सकती है.
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FIRST PUBLISHED : November 22, 2023, 23:00 IST