China Mosques Demolition: चीन में पिछले कुछ समय में ताबड़तोड़ तरीके से मस्जिदों की मीनारों को गिराया जा रहा है. इस्लाम से संबंधित सभी प्रतीकों को नष्ट किया जा रहा है ताकि सभी लोग खुद को चीन से जुड़ा हुआ महसूस करें. इसके लिए चीनी प्रतीकों और तरीकों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है, यह काम द्रुत गति से चल रहा है.
इस काम की शुरुआत साल 2018 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के एक भाषण से हुई थी. जिनपिंग ने बताया कि लोग चीनी प्रतीकों को अपनाएं ताकि वे देश से जुड़ा हुआ महसूस कर सकें. इसके लिए चीनी प्रशासन ने 5 सालों का प्रोग्राम बनाया जिसमें इस्लाम का सिनिसाइजेशन करना है. इसमें धार्मिक पहचान को छोड़ना होगा, जैसे लंबी दाढ़ी रखना, अलग कपड़े पहनना, या मस्जिदों में बार-बार जाना. चीन में दो मुस्लिम समुदाय पाए जाते हैं पहला ‘उइगर’ और दूसरा ‘हुई’ मुसलमान. इनकी देश में कुल आबादी लगभग 26 मिलियन है.
China razed 800 years old mosque despite all agitation and entreaties by Chinese Musl!ms ..
All I$lam!c countries who gave statement against Nupur will conveniently ignore this including many here . pic.twitter.com/J9TKUudZkX— Dolli (@desh_bhkt) June 2, 2023
मुसलमानों में कट्टरता खत्म करने के लिए चीन ने बीजिंग, शंघाई, हुनान, युन्नान समेत 8 राज्यों से मुस्लिम प्रतिनिधि बुलाए और उनसे प्लान शेयर किया. इन प्रतिनिधियों ने बताया कि ज्यादा से ज्यादा चीनी बातों का प्रचार-प्रसार करने को बोला गया है.
मस्जिदों का नवीनीकरण
इस्लाम के सिनिसाइजेशन के तहत मस्जिद के गुंबदों और मीनारों को हटाया जाने लगा. 2014 के बाद से यहां लगभग 38 हजार मस्जिदों को गिराया जाने लगा या फिर इनके स्ट्रक्चर का चीनीकरण किया जाने लगा. ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ASPI) ने बताया कि 16 हजार मस्जिदों को नुकसान पहुंचाया गया है. ASPI ने सैटेलाइट की मदद से मस्जिदों का डाटा निकाला, जिससे जानकारी मिली कि साढ़े 8 हजार मस्जिदों को पूरी तरह ढहाया गया.
नहीं चलेगा अरब स्टाइल चीनी शैली में निर्माण
मस्जिदों का निर्माण अरब स्टाइल में किया गया है. नब्बे के दशक में मुक्त व्यापार की वजह से अरबों और इस्लाम का यहां आगमन शुरू हुआ. इसी दौरान चीन की राजनीति में बदलाव होने लगा, यहां के छात्र इन अरब देशों में जाने लगे. वहां से लौटकर वे मस्जिदों पर मीनार और गुंबदों के निर्माण का आइडिया देने लगे. अंदर का स्ट्रक्चर और प्रेयर हॉल भी खास नक्काशी लिए होता था.
पुराने समय में मस्जिदों की शैली अलग होती थी
पुराने समय में बनी मस्जिदों का निर्माण चाइनीज वास्तुकला से होता था. इनमें मस्जिदों पर गुबंद या मीनार नहीं हुआ करती थी. बाहर से ये बुद्धिस्ट मंदिर की तरह दिखते हैं. छत की कई लेयर होती हैं, जैसे चीन, जापान या तिब्बत के बौद्ध मंदिरों में होती हैं. इसे पगोडा कहते हैं. चाइनीज स्टाइल मस्जिद की इमारत पूरी तरह से घिरी या बंद नहीं होती, बल्कि खुली-खुली हुआ करती थी. लेकिन नब्बे के दशक के बाद से चीन में धड़ाधड़ मस्जिद बनी थीं जिनमें गुबंद और मीनार होती थीं.
इस्लामिक किताबों को भी चीनी भाषा में लिखने पर जोर
सिनिसाइजेशन का मतलब चीनीकरण या चीनी अंदाज में ढालना है. जो कोई भी चीन या उसके अधीन कहलाते देशों की सीमा में रहेगा, उसे चीनी बनकर ही रहना होगा. इस नई पॉलिसी के अनुसार इस्लामिक किताबों के लिए अरबी-फारसी जैसी भाषाओं का इस्तेमाल न करें, बल्कि चीन की भाषा मेंडेरिन में लिखें ताकि इस्लाम को मानने वाले मजबूरी में ही सही चीनी भाषा से जुड़ें.

प्राचीन काल में चीन मस्जिदों का निर्माण अरब शैली में नहीं हुआ करता था. (न्यूज़18)
दूसरी माइनोरिटी भी इसकी चपेट में हैं. वहां रहते तिब्बत या हांगकांग के लोग भी अगर अलग भाषा बोलें, या खुद को मेनलैंड चाइना से अलग बताएं तो लोकल प्रशासन तुरंत सख्त हो जाता है.
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FIRST PUBLISHED : June 2, 2023, 16:59 IST