Temple Visitors in China: कोरोना महामारी से जुड़े प्रतिबंध हटने के बाद से चीन के बौद्ध और ताओवादी मंदिरों में युवाओं की भीड़ नजर आने लगी है. ऑनलाइन ट्रैवल प्लेटफॉर्म्स के मुताबिक, युवाओं की धार्मिक यात्राओं में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. चीन के लोग धीरे-धीरे रोजमर्रा की जिंदगी में वापस लौट रहे हैं. इस बीच युवाओं ने शांति पाने के लिए अपने रोज के काम में धार्मिक स्थल जाने को शामिल कर लिया है. युवा अनिश्चितता के डर से निजात पाने और आध्यात्मिक आंतरिक ऊहापोह से निपटने के लिए मंदिर जा रहे हैं.
चीन के युवा सॉन्ग यूकियान ने सिक्स्थ टोन न्यूज वेबसाइट से कहा कि कोरोना माहामारी के भयंकर माहौल के बाद ज्यादातर लोगों को अब शांति की तलाश है. युवाओं के साथ ही चीन के दर्जनों बौद्ध मंदिरों में बुजुर्गों की तादाद भी काफी नजर आ रही है. ये बुजुर्ग अपने अंतिम वर्षों को भिक्षुओं, ननों और दूसरे बुजुर्ग साथियों की देखरेख में जीने का विकल्प चुन रहे हैं. चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने बुजुर्गों को मंदिरों में भिक्षुओं की देखरेख में रहने की मंजूरी एक दशक पहले ही दी है.
ये भी पढ़ें – कैसा है पुतिन का परमाणु बम रोधी लग्जरी बंकर, जिसमें हैं हर तरह की सुविधाएं
बुजुर्गों को किस बात के लिए कर रहे प्रोत्साहित
चीन के मंदिरों में भिक्षु और नन बुजुर्ग नागरिकों को खुद के साथ-साथ दूसरों की देखभाल करने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं. शेंजेन वियवविद्यालय में समाजशास्त्र के प्रोफेसर क्यूई तेंगफेई कहते हैं, ‘इस तरह की व्यवस्थाओं से वरिष्ठ नागरिकों को लगता है कि वे न तो नाजुक हैं और न ही किसी पर बोझ हैं. उन्होंने बताया कि बोहाई शुआंगयुआन नर्सिंग होम में एक शोध के दौरान मैंने लाउडस्पीकर पर प्रसारित एक संदेश सुना. इसमें वरिष्ठों को धर्मशाला में रहने वाले एक व्यक्ति को देखने के लिए बुलाया जा रहा था. इसके बाद जो हुआ उसने मुझे झकझोर दिया. उन्होंने बताया कि कई बुजुर्ग पूरे जोश के साथ सामने आए. उनका उत्साह देखकर लग रहा था कि वे मृत्युशय्या के बजाय छुट्टी पर जा रहे हैं.

चीन के मंदिरों में भिक्षु और नन बुजुर्ग नागरिकों को खुद के साथ-साथ दूसरों की देखभाल करने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं.
चीनी सरकार के निर्देशों के उलट हैं कहानियां
तेंगफेई बताते हैं कि बुजुर्गों के पहुंचने पर नर्सिंग होम का वार्ड मंत्रोच्चारण से भर गया. ऐसा किसी दूसरे नर्सिंग होम में देखने को नहीं मिलता है. धर्म में स्वतःस्फूर्त और जमीनी पुनरुत्थान की ये कहानियां सत्ताधारी पार्टी के चीनी लोगों के लिए बनाए गए आदर्शों को परिभाषित करने के प्रयासों के उलट हैं. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता शी जिनपिंग के शासनकाल में ये बताया जा रहा है कि सभी धर्मों को सरकार के निर्देशों के मुताबिक व्यवहार करना चाहिए. सरकार का निर्देश है कि सभी धर्मों में चीनी विशेषताएं शामिल होनी चाहिए. सभी धर्मों को समाजवाद और मार्क्सवादी भौतिकवाद का पालन करना चाहिए. जिनपिंग सरकार की तिब्बत के बौद्ध और शिनजियांग के उइगर मुसलमानों की पारंपरिक प्रथाओं पर कार्रवाई काफी कठोर रही है.
ये भी पढ़ें – चीन ने लोगों के देश छोड़ने पर क्यों लगाई रोक? क्यों बढ़ा रहा पाबंदी का दायरा?
जिनपिंग ने अनूठी बताई थी चीनी सभ्यता
शी जिनपिंग ने मार्च 2023 में इस धारणा का दुनियाभर में प्रचार शुरू किया कि चीन की सभ्यता एकदम अनूठी है. इसके मूल्य दुनिया के अन्य हिस्सों और खासतौर पर पश्चिमी देशों से काफी अलग हैं. उन्होंने कहा था कि सभी देशों को विभिन्न सभ्यताओं के मूल्यों और धारणाओं की सराहना करने में खुला दिमाग रखने की जरूरत है. दूसरों पर अपने मूल्यों या मॉडलों को थोपने और वैचारिक टकराव को भड़काने से बचना चाहिए. जिनपिंग ने दावा किया कि उनके विचार उन मूल्यों को परिभाषित करते हैं, जिनका चीनी लोगों को पालन करना चाहिए. चीन सरकार के मीडिया हाउस ग्लोबल टाइम्स ने भी अप्रैल 2023 में ‘Xivilization’ नाम पर एक नाटक और लेखों की एक सीरीज चलाई है.
‘मानसिक थकान से मुक्ति का रास्ता’
विदेश नीति के उप-संपादक जेम्स पामर का कहना है कि चीन के पारंपरिक धर्मों में वास्तविक वैश्विक अपील है. लेकिन, सीसीपी के तहत पारंपरिक चीनी संस्कृति के किसी भी प्रचार की मंजूरी नहीं दी गई है. वह कहते हैं कि चीन में मंदिर जाने वालों की नई लहर राष्ट्रीय आदर्शों के आधिकारिक संस्करण के लिए एक वैकल्पिक दृष्टि उपलब्ध करा रही है. इसका चुनाव लोग अपने अंतर्मन से स्वतंत्र तौर पर कर रहे हैं. कई धर्मों में पाए जाने वाले मूल्य और प्रथाएं सभी सभ्यताओं में मौजूद हैं. एक युवा यूकियान का कहना है कि मंदिर की यात्रा करने से लोगों के लिए मानसिक थकान से ठीक होने का नया रास्ता बन गया है.

चीन के मंदिरों में अब बुजुर्गों को अपने साथ ही दूसरों की देखभाल करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है.
ग्रेजुएट्स की तादाद ने बढ़ाया संकट
एक युवा वांग शियाओनिंग ने नौकरी खोजने का दबाव और आवास की लागत को पहुंच से बाहर बताते हुए कहा कि वह मंदिर में शांति पाने की उम्मीद में आता है. वांग कोरोना महामारी के दौान प्रौद्योगिकी और शिक्षा क्षेत्रों में आई मंदी के दौर में नौकरी की आस लगा रहे हैं. यात्रा बुकिंग प्लेटफॉर्म Trip.com के मुताबिक, 2022 के मुकाबले इस साल मंदिर पहुंचने वालों की तादाद 310 फीसदी ज्यादा हैं. मंदिर में आई चेन ने बताया कि वह लामा मंदिर में अपने करियर के लिए प्रार्थना कर रही थी. उच्च शिक्षित पीढ़ी के बीच चीन में हर पांचवां युवा बेरोजगार है. सेंटर फॉर इंटरनेशनल फाइनेंस स्टडीज के एक शोधकर्ता झांग किदी ने बताया कि बाजार में विश्वविद्यालय के स्नातकों की ओवरसप्लाई है, जो संकट खड़ा कर रही है.
.
Tags: China news in Hindi, Religious Places, Xi jinping, Youth employment
FIRST PUBLISHED : May 4, 2023, 20:58 IST