शादाब चौधरी / मंदसौर.कूनो नेशनल पार्क के बाद साउथ अफ्रीका से लाए जाने वाले चीतों का नया आशियाना मंदसौर जिले का गांधी सागर होने जा रहा है. गांधी सागर में चीतों के लिए 64 वर्ग किलोमीटर में हाई सिक्योरिटी सिस्टम वाले सोलर पावर्ड इलेक्ट्रॉनिक तार फेंसिंग से बाड़ा तैयार किया जा चुका है. वहीं चीतों के लिए भोजन और सुरक्षा के लिए ठोस इंतेजाम किए जा रहे हैं. हाल ही में वन विभाग की 7 सदस्यीय टीम अफ्रीका पहुंची जहां चीतों के रखरखाव को लेकर जानकारी जुटाई गई है. अगले साल जनवरी तक चीते गांधी सागर अभ्यारण में दौड़ते नजर आएंगे. इस पूरे प्रोजेक्ट का खर्च लगभग 30 करोड़ रुपए आंका जा रहा है.
एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील मन्दसौर जिले के गांधी सागर में मौजूद है. गांधी सागर झील के नजदीक मौजूद अभ्यारण में ही चीतों के लिए 64 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बाड़ा तैयार किये जा रहे है. अब अभ्यारण में 10 चीतों के मान से 30 बाय 50 के 10 क्वॉरेंटाइन बाड़े तैयार किए जाएंगे. गांधी सागर एसडीओ राजेश मंडावलिया ने बताया कि नियम अनुसार चीतों को लाते ही अभ्यारण में नहीं छोड़ा जाएगा उनको करीब 20 से 30 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा.
दीवारों में दौड़ेगा करंट तो कैमरे से रखी जाएगी नजर
गांधी सागर अभ्यारण में 12 हजार 500 गड्ढे खोदकर हर 3 मीटर की दूरी पर पिल्लर लगाए गए हैं. इन पिलरों पर तार फेंसिंग की मदद से 28 किलोमीटर लंबी और 10 फीट ऊंची दीवार बनाई जा चुकी है. दीवार के 3 फ़ीट ऊपर सोलर तार बिछाए गए हैं तार में सोलर सिस्टम के माध्यम से बिजली सप्लाई होगी किसी भी परिस्थितियों में चीतों ने बाड़ा क्रॉस करने की कोशिश की तो उन्हें करंट का तगड़ा झटका लगेगा. 64 वर्ग कि.मी क्षेत्र में बाड़ा तैयार करने का खर्च लगभग 17 करोड़ 70 लख रुपए आया है तो चीतों पर नजर रखने के लिए 400 सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं. जो चीतों की हर हरकत पर टकटकी लगाए रखेंगे. ड्रोन और बाकी जरूरत को पूरा करने में करीब 30 करोड़ रुपए होना है.
चीतों की जरूरत के हिसाब से प्रति वर्ग किमी में 40 से 50 शाकाहारी प्राणी होना जरूरी
शुरुआती दिनों में चीतों को भोजन के लिए मशक्कत नहीं करना पड़े इसके लिए प्रति वर्ग किलोमीटर में 40 से 50 सहकारी प्राणी होना आवश्यक है. फिलहाल कमी होने के चलते वन विभाग ने भोजन के इंतजाम सुनिश्चित करना शुरू कर दिए हैं जिम्मेदारों के मुताबिक चीतों के भोजन को रूप में मादा नीलगाय और इसके बच्चों को परोसा जाना है.
चीतों के लिए गांधी सागर को क्यों चुना ?
आमतौर पर चीतों को 3 महत्वपूर्ण सुविधाओं की जरूरत होती है. पहली – खुला जंगल, दूसरी – आराम करने के लिए घास और तीसरी – मनपसन्द भोजन यह तीनों सुविधा गांधी सागर अभ्यारण में मौजूद है यही वजह है कि कूनो नेशनल पार्क के बाद गांधी सागर में चीतों को बसाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर बाड़ा बनाया जा रहा है. सब कुछ ठीक रहा तो जनवरी 2024 तक चीते गांधी सागर अभ्यारण में दौड़ते हुए नज़र आएंगे.
DFO बोले यहां और वहां की कंडीशन में है फर्क
जिला वन विभाग अधिकारी संजय रायखेरे ने लोकल 18 से चर्चा करते हुए बताया कि चीतों की देखभाल और उनके रहन – सहन की बारीकियों को सीखने के लिए भोपाल, कूनो और मंदसौर डीएफओ सहित 7 सदस्यीय टीम अफ्रीका पहुंची वहां 5 दिनों तक अधिकारियों को चीतों के खान – पान से लेकर उनके मैनेजमेंट के गुरु सिखाए गए. डीएफओ ने बताया कि यहां और वहां की कंडीशन में फर्क है ऐसे में वह कैसे चीतों को रखते हैं उनके रखरखाव और मैनेजमेंट को लेकर जानकारी जुटाई है. चीतों की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे के साथ ड्रोन की व्यवस्था भी की जाएगी. चीतों के भोजन के लिए नरसिंहगढ़ से 266 चीतल लाए जा चुके हैं तो नीलगाय की व्यवस्था भी की जा रही है.
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FIRST PUBLISHED : October 19, 2023, 13:15 IST