चिराग पासवान ने खड़ी की चुनौती, अब पशुपति कुमार पारस के सामने पार्टी बचाने का बड़ा चैलेंज

हाइलाइट्स

चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजा चिराग पासवान की लड़ाई के साइड इफेक्ट.
चिराग पासवान का एनडीए से डील फाइनल, मुश्किल में पड़ी पशुपति पारस की पार्टी.
दिल्ली में LJP संसदीय दल की बैठक में बड़ा फैसला ले सकते हैं पशुपति कुमार पारस.

पटना. लोकसभा चुनाव में चिराग गुट को पांच सीटें मिलनी लगभग तय हैं, जबकि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को अब तक एक भी सीट नहीं मिली है. ऐसे में पारस गुट के अंदर बेचैनी बढ़ी हुई है और लगातार पारस गुट के सांसद चिराग गुट से संपर्क कर रहे हैं. वैशाली से सांसद वीणा देवी पहले ही चिराग गुट में शामिल  हो चुकी है और अब पारस गुट के एक और सांसद महबूब अली कैसर भी चिराग के गुट में शामिल होना चाह रहे हैं. ऐसे में पारस गुट के सामने बड़ी चुनौती है अपनी पार्टी बचाने की. इस बीच पार्टी की ओर से भाजपा पर भी भड़ास निकाला जाना शुरू हो गया है. बता दें कि RLJP की संसदीय बोर्ड की बैठक आज होगी. इस बैठक से पहले पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल का बड़ा बयान देते हुए कहा है कि बीजेपी ने हमारे साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है.

श्रवण अग्रवाल ने कहा है कि सबसे ईमानदार सहयोगी के साथ बीजेपी बेईमानी कर रही है. इसको लेकर हमारे नेताओं और कार्यकर्ताओं में बहुत रोष है. पशुपति कुमार पारस जी पर कार्यकर्ताओं का दबाव है. हमारे नेता नरेंद्र मोदी जी को भगवान कहते हैं. हम उन्हें भगवान कहते रहे और हमारे साथ अन्याय हो रहा है. दूसरे खेमे में जाने के सवाल पर श्रवण अग्रवाल ने कहा कि राजनीति में विकल्प खुले रहते हैं. बता दें कि ये सारा पेंच इसलिए फंस गया क्योंकि हाजीपुर सीट को लेकर पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान आमने सामने खड़े थे.

आपको बता दें कि हाजीपुर से वर्तमान सांसद केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस लगातार हाजीपुर पर अपना दावा ठोक रहे थे. उनका कहना था कि सिटिंग गेटिंग गो के आधार पर हाजीपुर उनकी है, लेकिन BJP ने हाजीपुर सीट चिराग पासवान को दे दी. इसके साथ ही साथ पांच अन्य सीट भी चिराग गुट के पास चली गई है, जबकि पारस गुट को एक भी लोक सभा की सीट अभी तक नहीं मिली है. पशुपति कुमार पारस लगातार BJP के नेताओं से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उन्हें लोक सभा की सीट मिले, लेकिन अब तक बात नहीं बनी है. ऐसे में पशुपति कुमार पारस के हाथ से हाजीपुर तो निकल ही गई, अब पार्टी बचाने की बड़ी ज़िम्मेदारी है.

दरअसल, उनकी पार्टी में पहले 5 सांसद थे जिसमें से एक सांसद वीणा देवी चिराग पासवान के समर्थन में पहले ही आ गयी थीं. उसके बाद चिराग गुट को पांच सीट मिलने के बाद महबूब अली कैसर भी चिराग से मिलने उनके घर चले गये. इधर सूरजभान सिंह के भाई चंदन सिंह ने भी साफ कर दिया है कि राजनीतिक दरवाजे किसी के लिए कभी बंद नहीं होते हैं. संसदीय बोर्ड की बैठक होगी और बैठक के बाद महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे और पार्टी बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए जा सकते हैं.

साफ है कि पारस गुट में भगदड़ मच गई है. पारस गुट में अभी सिर्फ 3 सांसद हैं. एक खुद केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस उनके भतीजे प्रिंस राज और सूरजभान सिंह के भाई चंदन सिंह. आज संसदीय बोर्ड की महत्वपूर्ण बैठक बुलायी है और इस बैठक के बाद साफ होगा कि आखिर पशुपति पारस आखिर क्या करते हैं आखिर कैसे अपनी पार्टी को वो बचाएंगे.

Tags: Bihar politics, Chirag Paswan, Loksabha Elections, Pashupati Kumar Paras

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *