चमत्कारी है ये मंदिर, यहां हनुमानजी की महिमा के आगे सब हो गए थे नतमस्तक

दीपक पाण्डेय/खरगोन.जब भी कोई संकटों से घिरता है तो सीधे हनुमानजी की शरण में ही जाता है और हनुमानजी भी अपने भक्त को निराश नहीं करते, उनके सारे संकटों को हर लेते है. मध्य प्रदेश के खरगोन में मौजूद हनुमानजी का एक मंदिर ऐसा है. जहां कई वर्षों पहले हनुमानजी की महिमा के आगे हर कोई नतमस्तक हो गया था.

वर्तमान में यह मंदिर शहर के नूतन में श्री दाता हनुमान मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. बताया जाता है कि  मंदिर में मौजूद हनुमानजी की प्रतिमा कहीं और स्थापित होनी थी, परंतु देरी होने जाने से भक्तो ने यहां रख दी और जब वापस उठाने का प्रयत्न किया तो प्रतिमा हिली तक नहीं.

ऐसे हुई हनुमानजी की स्थापना –
मंदिर में विगत 32 वर्षों से सेवाएं दे रहे पुजारी पंडित गोपाल कृष्ण जोशी ने कहा कि हनुमानजी का यह मंदिर लगभग 80-90 साल पुराना है. स्वर्गीय गुलाब जर्मन, स्वर्गीय सुरेशचंद्र व्यास ने भगवान की स्थापन की थी. वैसे यह प्रतिमा खरगोन से 15 किलोमीटर दूर ग्राम घट्टी गांव है, वहां स्थापना के लिए कसरावद से लेकर जा रहे थे, लेकिन शाम हो गई तो यहां पीपल के वृक्ष के नीचे रख दी. अगले दिन भक्तों ने बाबा की पूजा अर्चना शुरू कर दी. जब 8 दिन बाद मूर्ति को यहां से ले जाने की चेष्टा की गई तो अथक प्रयासों के बावजूद प्रतिमा अपनी जगह से हिली भी नहीं. हनुमानजी को यह स्थान पसंद आ गया था. तब सभी ने इसी जगह स्थापना करने का निर्णय लिया और विधि पूर्वक प्राण – प्रतिष्ठा की गई.

वर्षों से जल रही अखंड ज्योत
भक्तों ने मिलकर छोटी से डेरी बना दी. बाद में मंदिर समिति ने जन सहयोग से मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया है. यहां भगवान के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आतें है. पूजा अर्चना करते है और चोला चढ़ाते है. विगत 29 वर्षों से अखंड ज्योत मंदिर में जल रही है. हर मंगलवार को यहां सुंदरकांड पाठ होता है. भगवान सभी की मनोकामाएं पूरी करते है. पुजारी का कहना है की भक्तों के अनुसार हनुमानजी दिन में तीन अलग अलग रूपों में दर्शन देते है. सुबह बाल्य अवस्था, दोपहर में युवा अवस्था और शाम को वृद्ध अवस्था में नजर आते है.

ऐसे पड़ा मंदिर का नाम
पुजारी ने बताया की आज से करीब 30 साल पहले इस मंदिर का कोई नाम नहीं था. हनुमान मंदिर के नाम से सब जानते थे. हनुमानजी सबकी इच्छाओं को पूरा करते है सबको देने वाले है इसलिए हमारे गुरु बार्चे दादा ने मंदिर का नाम श्री दाता हनुमान रख दिया.

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