चने के बाद गेहूं की फसल में लगा रोग, किसान की चिंता बढ़ी; जानें बीमारी का कारण

दुर्गेश सिंह राजपूत/नर्मदापुरम. जिले के सिवनी मालवा तहसील के ग्राम अमलाडा में कई किसानों की गेहूं की फसल सूखने लगी है. जिस पर कृषि विभाग के अधिकारी सहित कृषि अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक केके मिश्रा की ओर से ग्राम अमलाडा पहुंच किसानों की गेहूं की फसल का निरीक्षण किया गया. साथ ही किसानों को उचित सलाह भी दी गई.

कृषि वैज्ञानिक केके मिश्रा ने बताया कि गेहूं में मुख्य रूप से बालियां ऊपर से सफेद हो रही हैं. अभी ये बीमारी बहुत कम खेतों में है. जिन्होंने जल्दी गेहूं लगाया था, उन खेतों में ही ये बीमारी दिखाई दे रही है, जो फसल हरी भरी है, उसमें अभी दवाई का छिड़काव कर देंगे तो उसमे अच्छी फसल होगी.

बीमारी लगने का कारण स्प्रिंग्लर से सिंचाई
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि फसल में बीमारी लगने का मुख्य कारण स्प्रिंग्लर से सिंचाई होना है. स्प्रिंग्लर के माध्यम से जो सिंचाई हुई है, उससे मिट्टी के कीटाणु पानी के छीटे से गेहूं की बाली पर आते हैं, उससे ये बीमारी हुई है. साथ ही कुछ खेतों में किसानों ने गेहूं बहुत घना बोया है, उन खेतों में इस तरह की समस्या आई है. उन्होंने बताया कि जो गेहूं सूख गया है, उस पर कोई दवा असर नहीं करेगी. जो खेत अभी हरे हैं, उसमे स्प्रिंग्लर से सिचाईं ना करें एवं आगे से भी ध्यान रखें कि जब तक गेहूं में बाली नहीं आती है तब तक ही स्प्रिंग्लर इस्तेमाल करें. बाली निकलने के बाद इसका इस्तेमाल बंद कर दें.

किसान फसल को ऐसे बचाएं
किसान नीलेश धनगर ने बताया कि कृषि अनुसंधान केंद्र पवारखेड़ा के कृषि वैज्ञानिक व कृषि विभाग के अधिकारियों की ओर से खेतों में खराब हो रही गेहूं की फसल का निरीक्षण कर सभी किसानों को उचित सलाह दी गई है. इसके साथ ही किन दवाओं का छिड़काव किया जाना है ये भी बताया गया है. उन्होंने बताया कि अभी खड़ी फसल में फंगीसाइड का इस्तेमाल करें, जो पौधे हरे हैं उनमें रोग बिल्कुल फैलेगा नहीं. जो गेहूं सूख गया है, उसमे अब दवा का छिड़काव नहीं करें, क्योंकि उससे कोई लाभ नहीं होगा.

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