Aditya-L1 Launching Updates Amit Shah Speech Highlights: भारत के मून मिशन चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब पूरे देश की निगाहें इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) के आदित्य-एल वन पर टिकी हैं। यह भारत का पहला सूर्य मिशन है। लॉन्चिंग का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV-XL रॉकेट की मदद से शनिवार 2 सितंबर को सुबह 11:50 बजे लॉन्च किया जाएगा। इससे पहले शुक्रवार को गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम चंद्रमा तक पहुंच गए हैं और जल्द ही सूर्य के करीब पहुंच जाएंगे।
…लेकिन यह पर्याप्त नहीं
अमित शाह ने ‘मेरी माटी मेरा देश’ कार्यक्रम के दौरान कहा कि हमने 75 वर्षों में कई चीजें हासिल की हैं। हम चंद्रमा तक पहुंच गए हैं और जल्द ही सूर्य के करीब भी पहुंच जाएंगे। लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने आगे वैज्ञानिकों की तारीफ करते हुए कहा कि चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच गया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी कई रहस्यों से पर्दा उठेगा।
यहां देख सकेंगे लॉन्चिंग LIVE
इसरो वेबसाइट- https://www.isro.gov.in/
फेसबुक- https://www.facebook.com/ISRO
यूट्यूब- https://www.youtube.com/watch?v=_IcgGYZTXQw
Here is the brochure: https://t.co/5tC1c7MR0u
– विज्ञापन –and a few quick facts:
🔸Aditya-L1 will stay approximately 1.5 million km away from Earth, directed towards the Sun, which is about 1% of the Earth-Sun distance.
🔸The Sun is a giant sphere of gas and Aditya-L1 would study the… pic.twitter.com/N9qhBzZMMW— ISRO (@isro) September 1, 2023
सूर्य पर लैंड नहीं करेगा आदित्य-एल वन
इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि आदित्य-एल वन न तो सूर्य पर लैंड करेगा और न ही उसके करीब जाएगा। आदित्य-एल वन सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा। आदित्य-एल वन पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर यान को एल-वन पॉइंट पर पहुंचा देगा। एल-वन सूर्य और पृथ्वी की कुल दूरी का एक फीसदी है। सूर्य से पृथ्वी की दूरी 15 करोड़ किमी है। इसकी उम्र करीब 450 करोड़ साल है।
आदित्य-एल वन में लगे सात पेलोड
इसरो चीफ ने बताया कि अंतरिक्ष यान को एल-वन पॉइंट तक पहुंचने में चार महीने के समय का लगेगा। इसमें सात अलग-अलग पेलोड लगे हैं। जिनमें से चार सूर्य से प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और अन्य तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के इन-सीटू मापदंडों को मापेंगे। आदित्य-एल वन में सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ या वीईएलसी है। यह हर घंटे सूर्य की 1400 से अधिक फोटो लेकर ग्राउंड स्टेशन को भेजेगा।
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