रिपोर्ट-राजकुमार सिंह
वैशाली. किसान भी टेंशन फ्री होने लगे हैं. खेती किसानी में नये प्रयोग उन्हें हर चिंता से मुक्त कर सकते हैं. हल्दी की खेती में कुछ ऐसे ही प्रयोग युवा किसान कर रहे हैं. ये खेती इतनी कमाल की है कि एक बोरा लगाने पर 7 क्विंटल तक उपज हो जाती है.
बिहार में खेती-किसानी में नित नये प्रयोग किए जा रहे हैं. खास बात यह है कि पढ़े लिखे युवा इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं. बिहार में एक युवा किसान ने रेतीली जमीन पर हल्दी की खेती की और उसके उत्साहजनक परिणाम आए. ये हैं पटेढ़ा झाझा गांव के रहने वाले चंद्र प्रकाश सिंह. दो एकड़ में पीली हल्दी की खेती कर रहे हैं. यह हल्दी 6 से 7 महीने में तैयार हो जाती है और अच्छा मुनाफा दे रही है.
रेतीली जमीन पर हल्दी की खेती
चंद्र प्रकाश ने बताया हल्दी की खेती के लिए रेतीली मिट्टी सबसे अच्छी होती है. इस मिट्टी में पैदावार अधिक होती है. हल्दी की खेती जुलाई- अगस्त महीने में होती है. इसकी खेती मेढ़ विधि से की जाती है. हल्दी के छोटे-छोटे अकुंरित टुकड़ों को ही बोया जाता है. थोड़े बड़े होने पर उसके दोनों तरफ मिट्टी चढ़ा दी जाती है. 6-7 महीने में फसल तैयार हो जाती है. हल्दी की सबसे ज्यादा डिमांड छठ पूजा के दौरान होती है. इससे किसानों को अच्छी कमाई हो जाती है. छठ पूजा के दौरान डंठल सहित हल्दी की बिक्री आसानी से हो जाती है.
एक कट्ठे में 7 क्विंटल उपज
चंद्र प्रकाश ने बताया हल्दी की खेती में एक कट्ठा यानि बोरा हल्दी लगाने से 7 किवंटल तक पैदावार होती है. इस पर 2500 रुपए खर्च आता है. एक क्विंटल हल्दी की कीमत बाजार में 1700 रुपए है. व्यापारी खेत पर आकर इसी रेट में ले जाते हैं. उन्होंने बताया मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, पटना सहित अन्य जगहों से व्यापारी हल्दी लेने आते हैं. चंद्र प्रकाश कहते हैं हल्दी की खेती टेंशन फ्री है. इसमें कीट लगने की आशंका बेहद कम है. वो पांच साल से हल्दी की खेती कर रहे हैं. इसकी खेती में मेहनत और लागत कम और मुनाफा दोगुने से भी अधिक है.
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FIRST PUBLISHED : February 29, 2024, 17:14 IST