रिपोर्ट-मिथिलेश गुप्ता
इंदौर. इंदौर में इस बार एक नया प्रयोग हुआ. यहां के सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में खतरनाक बीमारियों में से एक अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज घोड़े के खून से यानि एटीजी थेरेपी से किया गया. इस थेरेपी में घोड़े के खून से एंटी बॉडी लेकर इलाज किया जाता है. अस्पताल में मरीज का तीन माह इलाज चला. अब वो स्वस्थ है और शुक्रवार को उसे छुट्टी दे दी जाएगी.
जब किसी मरीज का बोन मेरो फेल हो जाता है यानी हीमोग्लोबिन बनना बंद हो जाता है तो इसे अप्लास्टिक एनीमिया कहते हैं. इसके इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाता है. कई बार ट्रांसप्लांट वाले बोनमैरो के जींस पीड़ित से मैच नहीं करते. ऐसी स्थिति में बोन मैरो ट्रांसप्लांट असंभव हो जाता है, तब घोड़े के खून से एंटी बॉडी लेकर एटीजी यानि एंटी-थाइमोसाइट ग्लोब्यूलिन थेरेपी से किया जाता है.
पहली बार एटीजी से इलाज
सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के डॉ. अक्षय लाहोटी ने बताया हमारे अस्पताल में इस थेरेपी से पहली बार इलाज किया गया. इससे गरीब और मध्यम वर्ग के पीड़ितों का इलाज आसानी से हो सकेगा.
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क्या हैं एप्लास्टिक एनीमिया के लक्षण
-शरीर में लगातार कमजोरी और थकान बने रहना.
– श्वांस की समस्या का बढ़ना, धड़कन बढ़ना, त्वचा पीली पड़न
-लंबे समय तक इंफेक्शन बने रहना, नाक और मसूड़ों से खून आते रहना.
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3 महीने से भर्ती था मरीज
जिस मरीज का इलाज किया गया वो एक युवा है. वो इंदौर के इस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में पिछले 3 महीने से भर्ती था. उसका लगातार इलाज किया जा रहा था. एप्लास्टिक एनीमिया पीड़ित युवक का एंटी थाइमोसाइट ग्लोबुलिन थेरपी से इंदौर के इस अस्पताल में इलाज किया गया. अब अन्य मरीजों का भी ऐसे ही इलाज हो सकेगा
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Tags: Indore News Update, Latest Medical news
FIRST PUBLISHED : December 7, 2023, 18:28 IST