अभिलाष मिश्रा/इंदौर. होलकरकालीन ऐतिहासिक राजबाड़ा की खूबसूरती अब देखते ही बनती है. 20 रुपए प्रत्येक व्यक्ति टिकट दर पर यहां अन्य दिनों और अवकाश के दिनों में अच्छी कमाई हो जाती है. गांधी एवं शास्त्री जयंती पर राजबाड़ा को 1400 लोगों ने देखा और 90 लोगों ने वीडियो बनाई, जिससे पुरातत्व विभाग को करीब 50 हजार रुपए की आय हुई है.
शहर के मध्य नगर निगम ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत ऐतिहासिक होलकरकालीन धरोहर राजबाड़ा का कायाकल्प किया है और बेहतरीन विकास और सौंदर्यीकरण से हर किसी को आकर्षित कर रहा है. आम दिनों की अपेक्षा, यहां रविवार और अवकाश के दिनों में स्थानीय लोगों के अलावा दूर-दूर से भी पर्यटक इसे देखने आते हैं, जिससे यहां का पर्यटन क्षेत्र विकसित हो रहा है.
वर्तमान में राजबाड़ा को आंतरिक रूप से देखने के लिए प्रत्येक व्यक्ति के लिए 20 रुपए का टिकट निर्धारित है, जबकि वीडियो बनाने के इच्छुक व्यक्तियों से इसके अलग से 250 रुपए लिए जाते हैं. 20 रुपए में यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि लोग अपने मोबाइल से फोटो खींच सकते हैं, जो टिकट की कीमत में शामिल है. गांधी एवं शास्त्री जयंती के दिन, सोमवार को, राजबाड़ा को देखने के लिए निर्धारित समय सुबह 11 से शाम 7 बजे के बीच था. इस दिन करीब 1400 लोग आए, जिनमें से 1310 लोगों ने 20 रुपए का टिकट खरीदा. 90 लोग वीडियो बनाने के लिए 250-250 रुपए शुल्क देकर टिकट खरीदे. इस तरह, एक दिन में करीब 50 हजार रुपए की आय प्राप्त हुई.
इंदौर की शान राजबाड़ा
मराठा साम्राज्य ने 1733 में होलकर राजवंश को स्थापित किया और उन्हें इंदौर के महाराजाओं के रूप में नामित किया था. उनके शासन के दौरान, राजबाड़ा पैलेस उनके शाही निवास के रूप में सेवा करता था. पैलेस की महानता को पुनः स्थापित करने के इरादे के तहत इसका पुनर्निर्माण किया गया. नगर निगम द्वारा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत, पैलेस के नवाचित्रण के लिए न केवल विशाल धन आपव्ययित किया गया, बल्कि सौंदर्यीकरण के लिए भी धनराशि निर्धारित की गई, जिससे राजबाड़ा का परिवर्धन हुआ. राजबाड़ा के परिवर्धित होने के बाद, बेहतर रोशनी और सौंदर्यिकता के साथ-साथ, इसकी आंतरिक भाग की दृश्यमानता में सुधार हुआ है, जिससे यह एक दर्शनीय स्थल बन गया है.
200 साल पुराना है राजबाड़ा
दो सौ साल से भी अधिक पुराना राजबाड़ा होलकरों और इंदौर का एक महत्वपूर्ण प्रतिष्ठा चिह्न है. इसका निर्माण 1766 में हुआ था, और इसका ऐतिहासिक महत्व इसे एक महत्वपूर्ण स्मारक बनाता है.
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FIRST PUBLISHED : October 4, 2023, 13:40 IST