गौरव सिंह/भोजपुर. 40 से ज्यादा उम्र की होने के बावजूद ना ही दौड़ की स्पीड घटी और न ही हिम्मत में कमी आई. अब तक वह 150 से मेडल भारत, बिहार और रेलवे के लिए जीत चुकी हैं. नाम है अंजू कुमारी. इनकी कहानी लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है. शादी के बाद जहां महिलाओं के अरमान खत्म हो जाते हैं, वहीं अंजू के हौसले को फंख दिया उनके ससुर ने. उन्होंने प्रोत्साहित किया. इसके बाद अंजू घूंघट के खुद को बाहर निकाल अपने साथ ससुर का भी सपना साकार किया.
इस बार महाराष्ट्र के पूना में 13 से 17 फरवरी तक आयोजित 44वीं राष्ट्रीय मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भोजपुर की बहु अंजू कुमारी ने दो स्वर्ण पदक जीता. अंजू ने लांग जंप में 4.61 मीटर और ट्रिपल जंप में 9.56 मीटर की छलांग लगाकर स्वर्ण पदक हासिल किया. अंजू की कहानी बेहद ही प्रेरणादायक है.
जानिए अंजू का सफर, मिलेगी प्रेरणा
अंजू कुमारी आरा के खजुरिया गांव के रितेश कुमार की पत्नी है. इनके ससुर एक नेता थे. जिनका नाम स्व.शिव मूरत यादव है. अंजू ने बताया कि उनका जन्म चेन्नई में हुआ. पिता सिधेश्वर प्रसाद सीआईएसएफ में नौकरी करते थे. जिस वजह से चेन्नई में ही पढ़ाई-लिखाई हुई थी. अंजू कुमारी के द्वारा बताया गया कि दक्षिण भारत में खेल का माहौल बहुत अच्छा है. जब मेरा जन्म हुआ था, उस समय पीटी उषा रोल मॉडल थी. उन्हीं को देख कर मेरे पिता जी का सपना था कि हम भी एथलीट बने.
पिता के वजह से खेलना शुरू किया. डिस्ट्रिक्ट, स्टेट होते हुए कई मेडल जीते. इसी बीच 2006 में पूर्व मध्य रेलवे में उप मुख्य टिकट निरीक्षक के पद पर नौकरी लग गई. 2007 में शादी हो गई, जिसके बाद परिवारिक जीवन और नौकरी में उलझ कर खेलना छोड़ दिया.
शादी के 10 साल बाद ग्राउंड पर उतरी
अंजू ने बताया कि बिहार में घूंघट से निकल ग्राउंड में जाना बेहद ही कठिन है.जिस समय हम खेलते थे, उस समय घूंघट प्रथा बेहद ही जटिल थी, लेकिन मेरे ससुर स्व.मूरत यादव ने मुझे बहुत प्रेरणा दी. प्रोत्साहित कर मुझे शादी के 10 साल बाद ग्राउंड में उतारा. उनके विश्वास पर हम खरे उतरे. दोबारा ग्राउंड पर आने के एक साल बाद ही तीन गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीती. तब से निरंतर मेडल हासिल कर रही हूं.
अब तक राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीता है 150 मेडल
अंजू का सफर सिर्फ स्टेट और नेशनल तक ही नहीं रहा. 2019 में मलेशिया के कूचिंग साराबाग शहर में आयोजित एशियन मास्टर्स एथलीट प्रतियोगिता में तीन स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम रोशन की. अब तक के सबसे सुंदर पलो में अंजू के जीवन मे मलेशिया में जीता गोल्ड है. एशिया समेत देश के विभिन्न जगहों पर अब तक 150 से ज्यादा गोल्ड मेडल जीत कर अंजू ने साबित कर दिया है कि एक औरत घूंघट से अगर सही लक्ष्य को ले कर बाहर निकलती है तो वो पुरुष से दो कदम आगे निकल सकती है.
अंजू के पति की भी भूमिका है अहम
अंजू के पति सह कोच रितेश कुमार अपनी पत्नी के लिए ही चेन्नई जा कर एथलेटिक्स का कोचिंग प्रशिक्षण लिए और अब खुद अंजू को सुबह 4 बजे से ट्रेनिंग देते हैं. फिर दोनो अपने ऑफिस चले जाते हैं. उसके बाद 4 बजे दोनों ग्राउंड पहुंच जाते हैं. अंजू को रितेश कोचिंग देते हैं. रितेश कुमार ने बताया की अंजू फिलहाल पटना में पूर्व मध्य रेलवे में उप मुख्य टिकट निरीक्षक के पद पर कार्यरत है. बचपन से ही एथलेटिक्स से लगाव है. पांचवीं कक्षा से ही एथलेटिक्स प्रतियोगिता में ही अव्वल स्थान प्राप्त करती रहीं. अब तक राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में लगभग 150 मेडल जीता है. जिसमें 80-90 के करीब स्वर्ण पदक है.
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2024 एशिया मास्टर एथलीट में दोबारा हुआ चयन
अंजू कुमारी 2019 में एशिया मास्टर एथलीट में हिस्सा ले चुकी हैं. भारत को तीन गोल्ड दिलाया. उस समय 35 से 40 वर्ष उम्र के स्लैब में अंजू का चयन हुआ था. इस बार फिर नेशनल में गोल्ड मिलने के बाद वापस से एशिया मास्टर एथलीट टूर्नामेंट में अंजू का चयन हुआ है. इस बार 40 से 45 वर्ष उम्र के स्लैब में भारत के प्रतिनिधित्व करेंगी.
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FIRST PUBLISHED : February 21, 2024, 07:15 IST