घर में चींटियों की घुसपैठ, जितना भगाते उतनी बढ़तीं, 24 घंटे परिवार को घेरे रहतीं, फिर जो हुआ… हैरान रह जाएंगे

भरत तिवारी/जबलपुर: क्या चींटियों की वजह से कोई बेघर हो सकता है? इस सवाल का जवाब जबलपुर के एक छोटे से गांव में आपको मिलेगा, जहां एक आदमी के घर में चींटियों ने घुसपैठ कर दी. दो साल तक चींटियों ने उसे इस कदर परेशान किया कि अंत में उस व्यक्ति ने अपना आपा खो दिया और सारा गुस्सा मकान पर निकाल दिया. इस अजीब घटना के बाद पूरा गांव हक्का-बक्का है.

मामला जबलपुर के शहपुरा के ग्राम खैरी का बताया जा रहा है, जहां रहने वाले सुखचैन का सुख और चैन दोनों ही चींटियों ने खत्म कर दिया. सुखचैन पत्नी रामवती और 9 व 7 साल के दो बच्चों के साथ रहता है. बीते 2 साल से अपने घर में निकल रही काली चींटियों के कारण सुखचैन बहुत परेशान हो गया था. साल के 365 दिन 24 घंटे वो और उसका परिवार चींटियों से घिरा रहता था. ये चींटियां बच्चों को भी काट लेती थीं.

हर चींटियों से घिरा रहता था परिवार
चाहे गर्मी हो या बरसात, सोते-खाते हर वक्त ये चींटियां परिवार के आसपास घूमती रहती थी. इनसे छुटकारा पाने के लिए सुखचैन ने दो साल में अनगिनत प्रयास किए, लेकिन फिर भी समस्या दूर नहीं हुई. अंत में परेशान होकर सुखचैन ने ऐसा कदम उठाया, जिसने पूरे गांव को हैरान कर दिया.

पूरे गांव में सिर्फ यहीं थी चींटियां
सुखचैन परिवार के साथ एक छोटे से कच्चे मकान में रहता था. करीब 2 साल पहले अचानक घर में काली चींटियां निकलनी शुरू गईं. शुरू में तो परिवार ने उसको नजरअंदाज कर दिया, लेकिन कुछ ही दिनों में हालत ऐसी हो गई कि घर में चारों तरफ चींटियां ही चीटियां दिखने लगीं. सुखचैन के मुताबिक, पूरे गांव में सिर्फ उसी के घर में इतनी चींटियां थीं, जिससे 2 साल तक वह लगातार प्रताड़ित रहा. सुखचैन ने इससे निजात पाने के लिए कई तरीके आज़माए, लेकिन कुछ काम न आया. चींटियों की संख्या हर दिन बढ़ती ही गई.

घर पर ही निकाला गुस्सा
इन काली चींटियों से तंग आकर सुखचैन ने गांववालों को भी अपनी समस्या बताई. लोगों ने उसके घर आकर देखा भी, लेकिन किसी को कुछ समझ नहीं आया. सुखचैन को ये भी लगने लगा की आखिर उसके घर में भूत-प्रेत का साया तो नहीं है. तब गुस्से में आकर सुखचैन ने अपने घर को तोड़ने का फैसला ले लिया और घर में रखी गैंती उठाकर एक तरफ से अपने घर को तोड़ना शुरू कर दिया. कुछ ही घंटे में सालों की मेहनत से बनाया हुआ आशियाना धूल में मिल गया.

बेघर हो गया परिवार
अब सुखचैन और उसका परिवार बेघर है और ऐसी जगह जाकर रहना चाहता है, जहां चींटियों का नामोनिशान न हो. हालांकि, गांव के सरपंच का कहना है कि सुखचैन के मामले में समाधान निकलने की कोशिश की जा रही है.

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