घर के आसपास भी है इस पक्षी का घोंसला, तो तुरंत हटाएं, नहीं तो हो जाएंगे परेशान

आशीष कुमार/पश्चिम चम्पारण. एक समय था जब लोग बड़े पैमाने पर कबूतरों का पालन करते थे. उसके जरिए ही संदेशों को एक जगह से दूसरी जगह भेजा करते थे. आज कबूतर के जरिए संदेश भेजने का चलन तो खत्म हो चुका है, लेकिन उन्हें पालने के शौकीन आज भी मिल जाते हैं. शांति का प्रतीक माना जाने वाला कबूतर, यूं तो किसी को नुकसान नहीं पहुंचता. लेकिन क्या आपको पता है कि घरों में इसकी आवाजाही से स्वास्थ्य को बड़ा नुकसान हो सकता है.

अधिकांशतः लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है और वे घरों में न तो कबूतरों की आवाजाही पर रोक लगाते हैं और न ही उनके द्वारा घोंसला बनाए जाने पर. ऐसे में उन्हें जानलेवा बीमारियों तक का सामना करना पड़ सकता है.

जानलेवा बीमारियों का जनक

पक्षियों के जानकार शुभम बताते हैं कि कबूतरों पर हुए शोध में यह पता चला है कि इनका वीड और पंख इंसानों के लिए हानिकारक होता है. एक कबूतर एक साल में करीब साढ़े ग्यारह किलो तक वीड करता है. जिसमें परजीवी पनपते हैं. समझने वाली बात यह है कि कुछ समय बीतने पर ये वीड सूखकर डस्ट बन जाते हैं और हवा में घुल जाते हैं. हवा में घुले इस वीड से संक्रमण फैलता है. जिससे शरीर में एलर्जी, सांस लेने में तकलीफ, फंगल इन्फेक्शन इत्यादि हो सकता है. चौंकाने वाली बात यह है कि कबूतरों के वीड से सबसे अधिक सांस एवं फेफड़े से संबंधित समस्या होती है. जिसे हाइपर सेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस कहा जाता है.

फैलती है नकारात्मकता

डॉक्टरों की माने तो, यदि समय पर इस बीमारी का पता न चले, तो यह बीमारी आपकी जान तक ले सकती है. सिर्फ इतना ही नहीं, धार्मिक दृष्टिकोण से भी घरों में कबूतर का घोंसला होना अशुभ माना जाता है. ज्योतिषाचार्य राधाकांत शास्त्री बताते हैं कि कबूतरों के घरों में घोंसला लगाने से नकारात्मकता फैलती है. दरअसल, कबूतर जहां रहते हैं, उनके आसपास एक औरा उत्पन्न होता है, जो कबूतरों के लिए सकारात्मक और इंसानों के लिए नकारात्मक होता है. इसके अलावा घर में कबूतरों का घोंसला भारी वास्तु दोष भी उत्पन्न करता है. इससे घर में अशांति और दरिद्रता जैसे कुप्रभाव पड़ने लगते हैं.

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