ग्वालियर. मध्य प्रदेश के ग्वालियर के पीएचई घोटाले के मास्टर माइंड हीरालाल खुलाके लगभग 9 महीने बाद पुलिस के हाथ आया है. पकड़े जाने के बाद उसने खुद को घोटाले से अलग बता कर स्टाफ के ऊपर ठीकरा फोड़ा है. समझा यह भी जा रहा है कि 9 महीने की फरारी के दौरान वह पुलिस और विभाग की जांच और कार्रवाई से खुद को बचाने का षडयंत्र कानूनी विशेषज्ञों के साथ मिलकर रच चुका होगा. खुलासे के बाद प्रारंभिक जांच में बेला की बावड़ी पर होटल नमनराज का निर्माण घोटाले की रकम से कराने के सुबूत पुलिस को मिले थे.
सूचना यह भी थी कि आरोपी ने इंदौर में प्रोपर्टी कारोबारियों की पार्टनरशिप में बड़ी रकम इनवेस्ट की है. होटल नमनराज के संबंध में एक खातेदार ने पुलिस के सामने पूछताछ में खुलासा किया था. इस पर होटल की बिक्री रोकने के लिए एएसपी ऋषिकेश मीणा ने एसडीएम को पत्र लिख दिया था. अब पुलिस घोटाले की रकम के ट्रांसफर की लिंक जोड़कर ही आरोपी को घोटाले का मास्टर माइंड साबित कर सकती है, लेकिन यह आसान नहीं होगा.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, ग्वालियर में पीएचई में हुए घोटाले का खुलासा 27 जुलाई को हुआ और तत्काल जांच शुरू कर दी गई थी. शुरू में ही पंप ऑपरेटर हीरालाल का नाम सामने आ गया था, लेकिन उसकी गिरफ्तारी लगभग 9 महीने बाद हुई. जांच टीम ने 26 दिन की जांच के बाद रिपोर्ट सौंपी, लेकिन इस रिपोर्ट पर एफआईआर में नाम बढ़ाने की प्रक्रिया रिपोर्ट बनने के 22 दिन बाद पूरी की गई.
इसमें कुल 18 करोड़ 92 लाख 25 हजार 399 रुपये का गलत खातों में भुगतान होने का खुलासा किया गया है. रिपोर्ट में कुल 65 खातेदारों के 81 खातों में गलत भुगतान की बात सामने आई है. 27 जुलाई को जब खुलासा हुआ था तब 71 खातों में 16 करोड़ 42 लाख 13 हजार 853 रुपए की गड़बड़ी बताई गई थी. इस मामले में तैनात रहे 7 कार्यपालन यंत्रियों सहित खाते धारकों को ही आरोपी बनाया गया है.
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FIRST PUBLISHED : March 17, 2024, 10:24 IST