गोवर्धन पूजा पर गौवंश के गले में बांधी जाती है सोहइ रस्सी, ज्योतिषी से जानें

रामकुमार नायक/रायपुरः सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, गौ माता, और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है. इस दिन का महत्व उत्कृष्ट है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोपियों के साथ लीला रचाई थी और इंद्र देव की पूजा को नकारात्मक मानी गई थी. गोवर्धन पूजा के दिन भक्त भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के भोजन, मिठाई, और वन्यजनों के साथ अर्पित करते हैं. इसके अलावा, गौमाता को विशेष रूप से पूजा जाता है और गौवंश को विशेष प्रकार के पकवान से नवाजा जाता है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने इस उत्सव के महत्व को बताया है.

ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि दीपावली के चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है, जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है. इस उत्सव का महत्व इसलिए है क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र देव की पूजा रुकवाई और गोवर्धन पर्वत की पूजा की शुरुआत की थी. इस दिन घरों में गौधन को सुंदरता से नहलाया जाता है और फिर विशेष भोजन का आयोजन किया जाता है. यह पूजा गौ माता की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए की जाती है.

ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि गोवर्धन पूजा के दिन गौधन को दाल-चावल, सब्जी, पूड़ी, और विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाता है, जिसे अन्न कूट भी कहते हैं. यह एक प्रकार का भक्ति और आभार व्यक्त करने का त्योहार है जिसमें गौ माता को समर्पित भक्ति भाव से पूजा जाता है. इस दिन गौचारक ग्वाले विभिन्न रूपों में सुसज्जित होते हैं और गौधन को सोहइ नाम की रस्सी से बांधते हैं, जिससे गौ माता को सुख और सम्मान मिलता है. इस अवसर पर गोपालक ग्वालों को उपहार देकर उनका सम्मान किया जाता है, जिससे छत्तीसगढ़ में गोवर्धन पूजा को एक विशेष त्योहार के रूप में मनाया जाता है.

Tags: Chhattisgarh news, Dharma Aastha, Latest hindi news, Local18, Raipur news

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *