गोवर्धन के साथ यहां मथानी की भी होती है पूजा, साल भर दूध घी की नहीं होती कमी!

अनुज गौतम/सागर: दिवाली के अगले दिन प्रतिपदा पर गोवर्धन की पूजा की जाती है. इसे अन्नकूट पूजन के रूप में भी जाना जाता है, लेकिन इस बार दो दिन अमावस्या होने की वजह से कहीं पर दिवाली के अगले दिन तो कहीं पर दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन की पूजा की गई. वेदों में इस दिन इंद्र, वरुण, अग्नि आदि देवताओं की पूजा का विधान है.

गोबर से ब्रज वासियों की होती है संरचना
द्वापर युग में शुरू हुई यह परंपरा आज भी जारी है. बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाकों में बड़े धूमधाम से यह उत्सव मनाया जाता है. हर घर में गोवर्धन पर्वत गोबर के बनाए जाते हैं. साथ ही ब्रज वासियों की संरचना भी गोबर से ही की जाती है, जिनमें रोटी बनाने वाली महिलाएं, खाना पकाने वाली गोपियां, दूध-दही रखने वाली मटकी, गाय-बैल बनाते हैं. पूरे ब्रज की संरचना की जाती है और फिर पर्वत पर दूध का भोग लगाया जाता है.

गोवर्धन पूजा में 56 प्रकार के भोग
द्रोपदी बाई गौतम बताती हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के कहर से बचने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली से उठा लिया था और अपने ब्रज वासियों की रक्षा की थी. तब से ही इस व्रत को मनाने की परंपरा शुरू हुई. गोवर्धन की पूजा के साथ ही मथानी की भी पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि अगर मथानी की पूजा की जाती है तो साल भर घर में घी-दूध की कमी नहीं होती है. वहीं जो व्यक्ति गोवर्धन की परिक्रमा करने के लिए वृंदावन नहीं जा पाते हैं, वह अपने घर पर बनने वाले गोवर्धन की परिक्रमा करते हैं तो उन्हें उतना ही पुण्य फल की प्राप्ति होती है. गोवर्धन के प्रसाद के रूप में खीर, पूरी सब्जी, बनाई जाती है या 56 प्रकार के पकवान भी तैयार किए जाते हैं. गोवर्धन को भोग लगाने के बाद इस प्रसाद को केवल पुरुष ही खाते हैं.

पहले होती थी इंद्र की पूजा
अन्नकूट या गोवर्धन की पूजा का जो विधान है, वह भगवान कृष्ण अवतार के बाद द्वापर युग में आरम्भ हुआ है. पहले लोग भगवान इंद्र की पूजा करते थे, ताकि अच्छी बारिश हो. लेकिन, जब भगवान श्री कृष्ण ने समझाया कि यह उनका कर्तव्य है तो ब्रजवासी गोवर्धन की पूजा करने लगे थे. तब इंद्र ने कहर बरपाया था और भगवान श्रीकृष्ण ने पर्वत को उठाकर सभी ब्रजवासियों की रक्षा की थी.

Tags: Local18, Religion 18, Sagar news

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *