गोबर हटा रहा था चरवाहा, जमीन से आई खट… की आवाज, अनजाने डर से थम गए पांव

अनूप पासवान/राजनांदगांवः- महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. भगवान भोलेनाथ को द्वादश ज्योतिर्लिंगों के रूप में भी पूजा जाता है. लेकिन छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले का एक गांव ऐसा भी है, जहां शिवलिंग को पूजने मात्र से ही भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है. यहां एक स्वयंभू शिवलिंग में ही आधे हिस्से पर भगवान भोलेनाथ और आधे हिस्से पर मां पार्वती विराजमान हैं. लगभग 200 वर्षों से यहां इस विशेष शिवलिंग की पूजा की जा रही है.

200 वर्षों से हो रही पूजा
राजनांदगांव जिले के इराईकला में अर्धनारीश्वर शिवलिंग का अनोखा मंदिर है. यहां एक शिवलिंग दो भागों में बटा हुआ है. जिसकी वजह से इस शिवलिंग को अर्धनारीश्वर शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है. गांव के लोगों के अनुसार, लगभग 200 वर्षों से यहां इस शिवलिंग की पूजा अर्चना की जा रही है. मान्यता है कि यह शिवलिंग द्वापर युग का है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार वर्तमान में जिस जगह अर्धनारीश्वर शिव मंदिर स्थापित है, उसी स्थान पर पहले गोपालक गोबर एकत्रित किया करते थे. इसी जगह एक बार गोबर की सफाई के लिए खुदाई के दौरान शिवलिंग नजर आया, तब से शिवलिंग की पूजा सैकड़ों वर्षों से की जाती रही है.

90-95 वर्ष से अधिक आयु के दर्जनों बुजुर्ग
मान्यताओं के अनुसार, इस अर्धनारीश्वर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है. वहीं जब से यहां इस अर्धनारीश्वर शिवलिंग की पूजा-अर्चना की जा रही है, तब से इस गांव के लोग दीर्घायु हो गए हैं. इस गांव में ज्यादातर लोगों की अधिकतम उम्र 107 साल तक पहुंचती है और वर्तमान में भी यहां 90-95 वर्ष से अधिक आयु के दर्जनों बुजुर्ग हैं. यहां के लोगों का मानना है कि अर्धनारीश्वर शिवलिंग की वजह से ही यहां अधिकांश लोग शतायु हुए हैं. गांव के श्रद्धालु मंगतीन बाई का कहना है कि यहां हम वर्षों से पूजा करते आ रहे हैं.

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जलाभिषेक की भी है रहस्यमयी कहानी
यह पूरे प्रदेश का एकमात्र अनोखा शिवलिंग है. यह शिवलिंग दो भागों में स्पष्ट नजर आता है. इस शिवलिंग के बीच से एक पतली दरार है. बताया जाता है कि पहले यहां जलाभिषेक करने के बाद जल धरती में कहां जाता था, यह पता नहीं चलता था. वहीं अब मंदिर निर्माण के बाद जल के बाहर निकालने की व्यवस्था कर दी गई है. महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर इस मंदिर में विशेष पूजा अर्चना के साथ पंच कुंडी यज्ञ होता है और भंडारा का आयोजन किया जाता है. गांव में इस मंदिर के स्थापित होने से गांव में सुखद वातावरण का निर्माण हुआ है.

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