गोबर से लकड़ी और धूपबत्ती बना रहे यह किसान, हरियाणा से लिया था प्रशिक्षण

राजकुमार सिंह/वैशाली: गोबर से खाद बनते तो आपने देखा होगा, लेकिन गोबर से लकड़ी और धूपबत्ती बनते नहीं देखा होगा. वैशाली के रहने वाले युवक अपने परिवार के साथ गांव में प्रतिदिन गाय के गोबर से ना सिर्फ 4 से 5 क्विंटल लकड़ी बना रहे हैं बल्कि धूपबत्ती का भी निर्माण कर रहे हैं. इसमें खास बात यह है गोबर से बने लकड़ी के इस्तेमाल से पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा और बगैर प्रदूषण के आप लकड़ी का इस्तेमाल किसी भी काम के लिए कर सकते हैं.

गोबर से चार क्विंटल लड़की और धूपबत्ती कर रहे हैं तैयार
हाजीपुर के कुंआरी के रहने वाले गो-पालक किसान अमित मकरंद ने बताया कि 2014 में प्रशिक्षण लेने के लिए हरियाणा गए थे. वहां सबसे पहले देखा कि गोबर को जलाने के बाद उसका राख काम में आ रहा है और किसान गोबर से लकड़ी और धूपबत्ती बना रहे हैं. जिससे प्रभावित होकर हरियाणा से मशीन मंगवाया और आज दो लोगों की मदद से प्रतिदिन गोबर से 4 क्विंटल लकड़ी के साथ-साथ धूपबत्ती भी बना रहे हैं.

अमित बताते है कि पर्यावरण को संरक्षित करने के उद्देश्य से इसका प्रचार-प्रसार गांव-गांव घूमकर करते हैं ताकि लोग लकड़ी के विकल्प के रूप में गोबर की लकड़ी का इस्तेमाल कर सके. जिससे पर्यावरण को बचाया जा सके. अमित ने बताया कि धीरे-धीरे इस लकड़ी की डिमांड भी बढ़ रही है.

ठंड के मौसम में उत्पादन क्षमता होती है प्रभावित
अमित ने बताया कि फिलहाल इस लकड़ी और धूपबत्ती को स्थानीय बाजार के साथ-साथ आस-पास के गांव में बेचते हैं. उन्होंने बताया कि ठंड के दिनों में धूप नहीं निकलने के कारण इसका उत्पादन कम होता है, लेकिन ठंड कम होते हीं उत्पादन के साथ डिमांड भी बढ़ जाता है. गोबर की लकड़ी से जलावन करने पर पर्यावरण प्रदूषण नहीं होती है.अपने गौशाला में रखे गाय के गोबर से हीं लकड़ी और धूपबत्ती तैयार करते हैं. 300 प्रति क्विंटल गोबर की लकड़ी और 15 रुपए प्रति पैकेट के हिसाब से धूपबत्ती की बिक्री करते हैं. इसी की कमाई से घर भी चलता है.

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