गोपाष्टमी आज, इस दिन गाय की पूजा करने से प्रसन्न होते हैं 33 कोटि देवी-देवता, जानें महत्व

आशुतोष तिवारी/ रीवा.सनातन धर्म के वेद, पुराण और ग्रंथो में वर्णित मान्यताओं के अनुसार विशेष पूजा और अनुष्ठान के लिए अनेकों पर्व मनाए जाते हैं. उनमें से एक पर्व गोपाष्टमी है. इस पर्व में गौ माता की पूजा की जाती है. इस दिन गाय की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है. गौ माता की पूजा से भगवान श्री कृष्ण भी प्रसन्न होते हैं. रीवा में भी इस अवसर गौ पूजा का विशेष आयोजन लक्ष्मण बाग स्थित गौशाला में किया गया है. जहां विधि विधान के साथ गौ माता की पूजा की जाती है.

33 कोटि  देवी देवता का होता है वास
कथावाचक ज्योतिष आचार्य देवेंद्र आचार्य बताते हैं कि गोप का अर्थ होता है गाय और अष्टमी तिथि है. इसलिए गोपाष्टमी एक पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन गौ माता की विशेष पूजा की जाती है. गौ माता की आरती करनी चाहिए. सनातन धर्म के पुराणों और धर्मग्रंथो में कहा गया है कि गौ माता के अंग में कान से पूंछ तक में 33 कोटि देवी देवताओं का वास होता है. गाय शक्ति का स्वरूप है. जिस तरह से गंगा,यमुना, सरस्वती में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और मन पवित्र हो जाता है, नई ऊर्जा की प्राप्ति होती है. ठीक उसी तरह गौ माता की पूजा करने से मन पवित्र होता है.और धन-धान्य की प्राप्ति होती है.

बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद है गौ माता
देवेंद्र आचार्य बताते हैं कि यदि किसी बालक को नजर लग जाती है तो गाय के पूंछ से बालक के सिर को झाड़ देना चाहिए. क्योंकि ऐसी मान्यता है कि गाय की पूंछ में हनुमान जी का वास होता है. और गाय की पूंछ सिर में लगने से बालक को बुद्धि और बल की प्राप्ति होती है. और बालक की नजर दूर हो जाती है.

गाय के दूध में पाया जाता है 16 प्रकार की औषधि
देवेंद्रआचार्य बताते हैं कि गोपाष्टमी के दिन विधि विधान के साथ गाय की और गाय के दूध की भी पूजा करनी चाहिए. पूजा करने के साथ ही गाय का दूध भी अवश्य पीना चाहिए. औ गाय के दूध में 16 प्रकार की औषधि पाई जाती है. आयुर्वेद और मेडिकल साइंस में भी गाय के दूध को बेहद उपयुक्त माना गया है. और इसके कई फायदे बताए जाते हैं. बच्चों के लिए भी यह फायदे बेहद कारगर हैं.गाय का दूध पीने से बच्चा मजबूत होता है.

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