गोपालगंज में भी शुरू हो गई है स्ट्रॉबेरी की खेती, इस युवा ने की है शुरुआत

आलोक कुमार/गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में भी स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू हो चुकी है. लीची से मिलता-जुलता रूप और स्वाद में खट्टा-मीठा फल स्ट्रॉबेरी की पैदावार यहां के किसान करने लगे हैं. इसकी शुरआत करने का इसके निखित गुप्ता को जाता है. गोपालगंज जिला मुख्यालय से करीब 17 किलोमीटर दूर मीरगंज के पास बदरजिमि निवासी निखिल गुप्ता ने ना सिर्फ खुद के लिए एक नया प्रयोग किया है बल्कि अन्य किसानों को कुछ नया करने की प्रेरणा दी है.

पेशे से व्यवसायी निखिल दो साल पूर्व महाराष्ट्र के पुणे घूमने गए थे. जहां उन्होंने खेतों में लगे लाल-लाल लीची के आकार का फल देखा. जब पता किया तो जनाकारी मिली कि ये स्ट्रॉबेरी का फल है और सिर्फ महाराष्ट्र में ही उपजता है. निखिल ने मन में यह निश्चय कर लिया कि गांव में इसकी खेती करेंगे और अपने जमीन पर हीं स्ट्रॉबेरी को उपजाएंगे.

ऑनलाइन तरीके से स्ट्रॉबेरी की खेती का लिया था प्रशिक्षण
निखिल ने बताया कि ऑनलाइन तरीके से स्ट्रॉबेरी की खेती करने का तकनीकि जानकारी हासिल की. इसके बाद गंगोत्री एब्रोटेक से ऑनलाईन प्रशिक्षण प्राप्त किया. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद 12 रुपए प्रति पीस के हिसाब से स्ट्रॉबेरी के 25 हजार पौधे पुणे से लेकर गांव वापस आए गए. सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन की व्यवस्था की.

निखिल गुप्ता ने बताया कि तीन सीजन से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं और बिजनेस बैकग्राउंड से आने की वजह से सेल में कोई परेशानी नहीं हुई. उन्होंने बताया कि हमारे पूर्वज भी खेती किया करते थे. यह विरासत में हीं मिला था. यहां गेहूं, मक्का, धान, सरसों की खेती अधिक मात्रा में होती है और यह खेती लगभग सभी यहां करते हैं. इसके बावजूद किसान खेती से खुश नहीं रहते हैं. मौसम की मार से किसान परेशान रहते हैं. यही वजह रहा कि कुछ नया करने की सोची और स्ट्रॉबेरी की खेती करने लगे. ताकि अधिक आमदनी प्राप्त किया जा सके.

एक एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती करने पर ढाई लाख आता है खर्च
निखिल ने बताया कि जब स्ट्रॉबेरी की खेती करने की शुरुआत की तो हमेशा इधर-उधर घूमते रहा, ताकि अधिक से अधिक जानकारी एकत्रित कर बेहतर तरीके से खेती किया जा सके. बिहार के अधिकतर युवा सरकारी नौकरी के पीछे लगे रहते हैं. पढ़ाई-लिखाई करने के बाद अपने गांव छोड़कर बाहर जाकर कहीं प्राइवेट जॉब करते हैं या फिर सरकारी नौकरी करते हैं. गांव छोड़कर जाना अच्छा नहीं लगा और अलग हटकर काम करने का उद्देश्य हीं इंसान को सफल बनाता है.

उन्होंने बताया कि यहां की मिट्टी बेहद उपजाऊ है और स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए उपयुक्त है. वहीं अगर लागत की जाए तो एक एकड़ में ढाई लाख खर्च आता है. एक एकड़ में 25 हजार पौधे लगाए हैं और 20 लोगों को रोजगार देने के बाद भी पांच लाख से अधिक की कमाई हो रही है. इसके अलावा ड्रैगन फ्रूट की भी खेती कर रहे हैं.

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