गोड्डा के 250 साल पुराने इस विषहरी मंदिर में सावन पूर्णिमा पर होती है खास पूजा

आदित्य आनंद/गोड्डा. जिले के ठाकुरगंगटी प्रखंड अंतर्गत बनियाडीह गांव स्थित विषहरी स्थान जिले भर में प्रसिद्ध है. हर वर्ष सावन पूर्णिमा के दिन होने वाले विषारी पूजा में इस मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से माथा टेकता है. उसके हर एक कष्ट मां मनसा हर लेती है. इस मंदिर में पिछले 250 वर्षो से विषहरी पूजा के दिन परंपरागत रूप से पूजा होती आ रही है. जहां झारखंड के कई जिले के साथ-साथ बिहार से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं.

लोगों का मानना है कि  मैया की पूजा का नीर जो भी बीमार व्यक्ति पीता है उनकी बीमारी दूर हो जाती है. इसके साथ शरीर के चर्म रोग के साथ किसी भी प्रकार के जख्म भी तुरंत ठीक हो जाते हैं. यहां मनोकामना लेकर आने वाले भक्तों को पुर्णिमा से एक दिन पहले कहलगांव के उत्तर वाहिनी गंगा में स्नान करना होता हैं. इसके बाद मां को जल चढ़ाते हैं. ऐसा करने से मन की सारी मुरादें पूरी होती हैं. वहीं मंदिर के मुख्य पुजारी दशरथ मंडल के साथ गांव के सैकड़ों लोग गंगा स्नान कर आते हैं. तभी मंदिर में संध्या पूजा पूर्णिमा के 1 दिन पूर्व से शुरू हो जाती है.

मां मनसा के नीर से दूर होता है हर कष्ट
मंदिर के मुख्य पुजारी दशरथ महतो ने कहा  कि इस बार बुधवार को मैया की शुभ विवाह रात्रि 8:00 बजे से प्रारंभ होगा. गुरुवार की सुबह से संकल्प के बाद बलि का कार्यक्रम शुरू किया जाएगा. हर वर्ष हजारों बकरे की बलि भी दी जाती है. इसके साथ पूर्णिमा के बाद बली के प्रसाद से ही लोग भद्रा माह में मांस मछली खाना शुरू कर देते है.इसके साथ उन्होंने बताया की इस विषहरी मंदिर में दो विषहरी स्थान है. जहां बड़ी विषहरी का नाम से मैना विषहरी है और छोटी विषहरी का नाम जया विषारी स्थान है. जहां परंपरा के मुताबिक बड़ी स्थान में पूजा अर्चना प्रारंभ होने के बाद ही छोटी स्थान में पूजा शुरू होती है.

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