गैस, बदहजमी, ब्लॉटिंग में दवा खाते-खाते थक गए हैं? छोड़िए पुरानी मेडिसीन, अब ये ड्रग खाएं, IBS का निकाल लिया गया तोड़

हाइलाइट्स

स्टैंडर्ड दवा लेने के बावजूद अगर पेट की समस्या ठीक नहीं होती तो यह क्रोनिक बीमारी में बदल जाती.
लेसेंट की रिसर्च में इसका तोड़ निकाल लिया गया है, इसे एंटीडिप्रेशन से ठीक किया जा सकता है.

How to Control Gas, Bloating, Constipation: पेट की समस्या बहुत बड़ी समस्या है. लेकिन सच्चाई यह है कि अधिकांश लोग अक्सर गैस, बदहजमी, कब्ज, अपच जैसी समस्याओं से परेशान रहते हैं. जब ऐसी परेशानियां लगातार होती रहे और दवा भी ज्यादा कारगर साबित न हो, तो यह क्रोनिक बीमारियों में बदल जाती है. इसे Irritable bowel syndrome -IBS इरीटेबल बावेल सिंड्रोम कहते हैं. इस बीमारी में अक्सर पेट में क्रैंप, पेट में दर्द, गैस, पेट फूल जाना, डायरिया ये कब्ज जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है. IBS क्रोनिक बीमारी है जिसे ठीक करना आसान नहीं है. कई तरह की दवाइयां भी दी जाती है लेकिन यह ठीक नहीं हो पाता. इसमें अक्सर लोगों का मूड खराब रहता है और इससे जीवन की गुणवत्ता पर असर पड़ता है.

अब लेंसेट में छपी एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि आईबीएस यानी पेट से संबंधित समस्याओं के लिए सिर्फ फिजिकल समस्या ही जिम्मेदार नहीं है बल्कि इसके लिए मनोवैज्ञानिक समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए. स्टडी के मुताबिक जब पेट से संबंधित परेशानियों में दवा की डोज बेअसर होने लगे तो एंटी-डिप्रेशेंट दवा से इसे ठीक किया जाना चाहिए. यानी वैज्ञानिकों ने सालों पुरानी कब्ज, गैस को ठीक करने का नया तोड़ निकाल लिया है.

दवा खाने से न हो ठीक तो करें ये उपाय

टीओआई की खबर ने लेंसेट के हवाले से बताया है कि जब आईबीएस में कई तरह की दवा खाकर थक गए हैं तो डिप्रेशन में काम आने वाली दवा एंटीडिप्रेशेंट का इस्तेमाल करें. एंटीडिप्रेशेंट की दवा इसलिए क्योंकि क्रोनिक आईबीएस सिर्फ फिजिकल बीमारी नहीं है बल्कि यह मनोवैज्ञानिक बीमारी भी है. रिपोर्ट के मुताबिक अगर पेट से संबंधित इन बीमारियों में फर्स्ट लाइन थेरेपी कारगर नहीं है. यानी पेट को ठीक करने के लिए आपने खान-पान में बदलाव कर लिया है, फाइबर का सेवन भी बढ़ा दिया है, कई तरह की दवा भी खा चुके हैं और फिर भी पेट सही नहीं रहता तो एंटीडिप्रेशेंट दवा ले सकते हैं.

रिसर्च में चौंकाने वाले परिणाम

लेंसेट की रिसर्च में आईबीएस से पीड़ित 200 लोगों को शामिल किया गया और इन्हें एंटी-डिप्रेशन की दवा Amitriptyline का लो डोज दिया गया. इन लोगों पर शुरुआती दवाओं का असर बेअसर हो गया था. स्टडी के नतीजे चौंकाने वाले थे. स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों को एंटी-डिप्रेशन की दवा दी गई, उनकी हालत में तेजी से सुधार हुई. जबकि अन्य स्टैंडर्ड दवा लेने से अधिकांश लोगों को कोई फायदा नहीं मिला. हालांकि यदि आपको पेट में लगातार गैस, बदहजमी, कब्ज, दर्द आदि की शिकायत है और दवा खाने के बाद भी ठीक नहीं हो रहा है तो अपने मन से एंटी डिप्रेशन की दवा न लें. बेहतर होगा कि इसके लिए एक बार डॉक्टर से संपर्क करें.

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