विशाल झा /गाजियाबाद: 19 सितंबर को देशभर में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा. गणेश उत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि से चतुर्दशी तक आयोजित किया जाता है. गणेश चतुर्थी को लेकर इस बार गाजियाबाद में मूर्ति बनाने वाले कारीगरों में गजब का उत्साह है. वह मिट्टी से भगवान गणेश को भव्य स्वरूप देने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं. गाजियाबाद की कारीगर गली में बड़े-बड़े गणपति जी देखने को और नाक में रंग की खुशबू मिल रही है. इस गली में आम दिनों से ज्यादा भीड़ इकट्ठा होने लगी है.
दरअसल, जिले के साहिबाबाद रोड स्थित कारीगर गली के आसपास कई राजस्थानी मूर्तिकार रहते है. जो लंबे समय से मूर्ति बनाने का काम कर रहे है. मूर्तिकार विजय तकरीबन तीन दशकों से गणपति बप्पा की मूर्तियां बनाने का काम कर रहे है. राजस्थान से आकर गाजियाबाद में मूर्ति बनाने का काम कर रहे विजय ने बताया कि गणेश चतुर्थी के त्योहार से तकरीबन तीन महीने पहले तैयारियां शुरू कर देते हैं. शुरुआती दौर में मूर्तियां बनाई जाती है और गणेश चतुर्थी में जब एक सप्ताह रह जाता है, तब इन मूर्तियों को सजाने-संवारने का काम किया जाता है. जहां एक तरफ विजय मिट्टी को मूर्ति का आकार देते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ उनके परिवार वाले लगन के साथ मूर्तियों पर रंगों और सजावट की बौछार करते है.
राजस्थान के कारीगर गढ़ रहे मिट्टी के गणेश
मूर्तिकार विजय के मुताबिककोरोना वायरस के चलते बीते दो साल काम काफी सुस्त रहा. दो-ढाई लाख का नुकसान भी उठाना पड़ा, लेकिन इस साल हालात काफी बेहतर नजर आ रहे हैं. पहले से ही मूर्तियों के ऑर्डर मिल चुके है. विभिन्न प्रकार की मूर्तियां तैयार की जा रही है. सबसे अधिक मांग इस साल नियोन कलर के गणेश जी की मूर्ति की है जो रात में चमकता है. क्योंकि ज्यादातर लोग रात भर भजन-कीर्तन करते है ऐसे में यें मूर्ति आकर्षण का केंद्र बनती है. इसके अलावा कारीगर गली में इको फ्रेंडली मूर्ति (Lord Ganesh Eco Friendly Idol) बनाई जा रही है, जिसे दूर-दूर से लोग खरीदने आ रहे है.
बढ़ रहा मूर्तियों का क्रेज
इस साल बड़ी मूर्तियों की भी बाजार में डिमांड देखने को मिल रही है. 11, 12 और 14 फुट की भगवान गणेश की मूर्तियां तैयार की गई हैं, जिनकी कीमत 25 हजार से 45 हजार रुपए तक है. मूर्तिकार सोनिया बताती है की सुबह 6 बजे से ही मूर्ति रखने का काम शुरू हो जाता है जो रात के 12-1 बजे तक चलता है. कई बार लागत की कीमत से भी कम दाम में मूर्तियां बेचने पड़ती है. तब थोड़ी तकलीफ होती है. लोग दिल्ली गुड़गांव से इन मूर्तियों को खरीदने आते है.
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FIRST PUBLISHED : September 16, 2023, 11:52 IST