गांधी सागर होगा चीतों का नया आशियाना, करोड़ो रुपए की लागत से होगा तैयार

शादाब चौधरी/मंदसौर. मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित गांधी सागर जलाशय में चीतों के लिए एक नया आशियाना तैयार किया जा रहा है, और इसके लिए उच्च सुरक्षा सिस्टम भी लगाया जा रहा है. यह आशियाना चीतों के लिए खास खिलाड़ी और वर्कर्स के लिए एक सुरक्षित स्थल होगा, जिसमें सोलर पावर्ड इलेक्ट्रॉनिक तार फेंसिंग इस्तेमाल की जाएगी. इसके साथ ही चीतों के लिए भोजन और सुरक्षा की व्यवस्था भी की जा रही है. इस प्रोजेक्ट का आकलन लगभग 30 करोड़ रुपए का है, और चीते गांधी सागर अभ्यारण में जनवरी तक दौड़ते हुए दिखाई देने की उम्मीद है.

64 वर्ग कि.मी क्षेत्र में किया जा रहा है बाड़ा तैयार
एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील मन्दसौर जिले के गांधी सागर में मौजूद है. गांधी सागर झील के नज़दीक मौजूद अभ्यारण में ही चीतों के लिए 64 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बाड़ा तैयार किया जा रहा है. साथ ही, यहां 12 हज़ार 500 गड्ढे खोदकर हर 3 मीटर की दूरी पर पिल्लर लगाए गए हैं. इन पिलरों पर तार फेंसिंग की मदद से 28 किलोमीटर लंबी और 10 फीट ऊंची दीवार बनाई जा रही है. दीवार के 3 फ़ीट ऊपर सोलर तार बिछाए जा रहे हैं. तार में सोलर सिस्टम के माध्यम से बिजली सप्लाई होगी, किसी भी परिस्थितियों में चीतों ने बड़ा क्रॉस करने की कोशिश की, तो उन्हें करंट का तगड़ा झटका लगेगा. बाड़े का काम अंतिम चरण में हैं तो साथ ही 64 वर्ग कि.मी क्षेत्र में बाड़ा तैयार करने का खर्च लगभग 17 करोड़ 70 लख रुपए आया है. चीतों पर नज़र रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे, ड्रोन और चीतों की बाकी जरूरत को पूरा करने में करीब 30 करोड़ रुपए का खर्च होना है.

जानिए चीतों के लिए गांधी सागर को क्यों चुना ?
चीतों को सुरक्षित और सुखद आवास, आराम करने के लिए घास, और मनपसंद भोजन की जरूरत होती है और गांधी सागर अभ्यारण में इन तीनों सुविधाओं की व्यवस्था करने के लिए करोड़ों रुपए का निवेश किया जा रहा है. यदि सब कुछ अच्छे से प्रबंधित रहता है, तो जनवरी 2024 तक यहां के चीते दौड़ते हुए दिखाई देंगे.

2 दिनों तक NTCA टीम ने किया निरीक्षण
चीतों के नए आवास के लिए तैयारी का निरीक्षण करने के लिए दिल्ली से आई (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) की टीम ने गांधी सागर में 2 दिनों तक वन विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर काम किया.

वन विभाग DFO ने दी जानकारी
वन विभाग के डीएफओ संजय रायखेरे ने बताया कि चीता प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए पहले 64 वर्ग किलोमीटर में तार फेंसिंग की जा रही है, जिसमें लगभग 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. काम में बारिश की वजह से रुकावटें हुई थीं, लेकिन नवंबर तक काम पूरा हो जाएगा. अब तक 17 करोड़ 70 लाख रुपए का खर्च हो चुका है. चीतों की संख्या को निगरानी में लेने के लिए वरिष्ठ अधिकारी तय करेंगे. मंदसौर जिले के 40% वन एरिया गांधी सागर में हैं, और साथ ही आसपास के ग्रामीण भी इस प्रोजेक्ट में सहयोग कर रहे हैं. चीतों की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरों के साथ ड्रोन का भी उपयोग किया जाएगा. चीतों के भोजन के लिए नरसिंहगढ़ से 266 चीतल लाए गए हैं.

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