कुंदन कुमार. गया में एक ऐसा गुरुकुल है जहां वेद, धर्मशास्त्र, ज्योतिष, तथा कर्मकांड के ज्ञाता तैयार हो रहे हैं. यह गुरुकुल गया शहर के विष्णुपद वेदी के समीप मंत्रालय रामाचार्य वैदिक पाठशाला में पिछले 48 साल से चल रहा है. जहां गुरुकुल द्वारा विद्यार्थियों को निशुल्क सनातनी शिक्षा दी जा रही है. सबसे बड़ी बात है कि यहां शिक्षा ग्रहण के लिए न जाति का बंधन है और नहींउम्र की सीमा. यहां किसी भी जाति एवं उम्र के लोग साथ में शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं. पिछले 48 साल से यहां रोजाना सुबह 3 घंटे और शाम में 3 घंटे वैदिक सनातन संस्कृति की शिक्षा दी जा रही है.
गुरुकुल से 6000 से अधिक छात्र कर चुके हैं पढ़ाई
गया में चल रहे इस गुरुकुल से 6 हजार से अधिक छात्र शिक्षा पूरी कर अपने शहर या गया में वेद, पूजा-पाठ, पुराण, ज्योतिष और कर्मकांड के क्षेत्र में गुरु की भूमिका निभा रहे हैं. गया क्षेत्र में गुरु पंडित रामाचार्य स्वामी महाराज ने इस गुरुकुल की स्थापना की थी. उसी को अब उनके पुत्र पंडित राजा आचार्य द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है. दूर दराज से आए विद्यार्थी यहां वेद, धर्मशास्त्र, पुराण, ज्योतिष, वास्तु, कर्मकांड व अनेकों स्त्रोत पाठ सीख रहे हैं. यहां वेद, धर्मशास्त्र, ज्योतिष व कर्मकांड के लिए कोर्स चलाए जाते हैं. वेद के लिए पांच वर्ष, कर्मकांड के लिए तीन वर्ष और ज्योतिष के लिए दो वर्षो का पाठ्यक्रम है.
विद्यार्थी से कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता
यहां से शिक्षित विद्यार्थी आज देश के साथ विदेशों में वैदिक संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं. इस गुरुकुल में किसी भी विद्यार्थी से कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता है. गुरुकुल के पंडित राजा आचार्य बताते है कि धर्म, संस्कृति व वैदिक सभ्यता को बचाने के लिए गुरुकुल की स्थापना उनके पिता श्री रामाचार्य जी द्वारा की गई थी. इस गुरुकुल में किसी भी जाति का कोई भी व्यक्ति किसी भी उम्र में आकर शिक्षा ग्रहण कर सकता है. गुरुकुल में कई ऐसे छात्र हैं जो कर्मकांड की शिक्षा ले रहे हैं. कर्मकांड की शिक्षा लेने के बाद वे गया में सही उच्चारण और सही तरीके से पिंडदान करवाते हैं.
प्रैक्टिकल की भी है व्यवस्था
इस गुरुकुल में देश के किसी भी क्षेत्र से 6 वर्ष से लेकर 70 वर्ष तक के लोग यहां सनातन धर्म, वैदिक शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं. यहां शिक्षक ग्रहण कर रहे हैं बच्चों को प्रैक्टिकल के लिए अलग-अलग मंदिर, पूजा पाठ में ले जाया जाता है. वैसे विद्यार्थी जिनके माता-पिता इच्छुक होते हैं. उन्हें वैदिक शिक्षा के विशेष अध्ययन के लिए दक्षिण भारत के गुरुकुल में भेजा जाता है.
सनातन संस्कृति को बचाना है उद्देश्य
राजा आचार्य ने बताया कि प्राचीन वर्षो में वैदिक सनातन धर्म की रक्षा के लिए अनेकों अनेक गुरुकुल पाठशालाएं चलती थी, लेकिन कालांतर में यमन, मुगल एवं अन्य विदेशी आक्रांताओं ने भारतीय सनातन संस्कृति को नष्ट किया. अनेक विद्यापीठ, गुरुकुल एवं पुस्तकें जला दी गई. उन्होंने बताया कि अब कुछ ही वेद पाठशालाएं हैं. जिनमें सनातन संस्कृति को बचाने के उद्देश्य से विद्यार्थियों को भारत के भविष्य निर्माण के लिए तैयार किया जा रहा है.
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FIRST PUBLISHED : September 12, 2023, 17:16 IST