गन्ने में लगने वाली सफेद सुंडी से मिलेगी राहत, CCSU में तैयार हुआ नैनो सिल्वर पेस्टीसाइड

विशाल भटनागर/मेरठ. गन्ने की खेती में लगने वाली सफेद सुंडी बीमारी से जल्द ही राहत मिलने की संभावनाएं अब प्रबल हो चुकी हैं. चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर में संचालित अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर शैलेंद्र सिंह गौरव द्वारा नैनो टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए नैनो सिल्वर पेस्टीसाइड तैयार किया है. जिसके माध्यम से गन्ने की जड़ों में लगने वाली है. यह बीमारी 72 घंटे में बिल्कुल समाप्त हो जाएगी.

डा. एसएस गौरव ने बताया कि मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, गाजियाबाद के किसानों की खेतों से वह लारवा एकत्रित किया गया. जो कि इस कीड़े को उत्पन्न करता है. इसके बाद एक टमाटर के पौधे में इसका प्रयोग किया गया. वह कहते हैं कि विभिन्न फॉर्मूलेशन तैयार किए गए. जिस पर इसका सुखद परिणाम है. वह कहते हैं 48 घंटे में 50 प्रतिशत और 72 घंटे में बिल्कुल जड़ बीमारी को समाप्त कर देगा.

बेहद कम कीमत में किसानों को होगा उपलब्ध

डा. गौरव के अनुसार अभी तक बाजार में जो पेस्टिसाइड उपलब्ध है. अगर किसान उनका एक एकड़ में उपयोग करते हैं. तो उनका 4000 रुपए से 5000 रुपए तक का खर्च बैठता है. जबकि नैनो पेस्टीसाइड जब बाजार में उपलब्ध होगा. तब 1 एकड़ में 500 रुपए से भी कम खर्चे में वह इसका उपयोग कर सकेंगे. जिसे जहां किसान की आय को भी फायदा होगा.

वही जो फसल उनकी बर्बाद हो जाती है. उससे भी राहत मिल सकेगी. हालांकि वह कहते हैं अब इसमें एक दो स्टेज की प्रक्रिया और रह गई है. वह भी वर्ष 2024 से पहले पूरी हो जाएगी. उसके बाद ही है बाजार में देखने को मिलेगा.

अन्य देश भी कर रहेंगे इस फार्मूले पर काम

डॉ. गौरव ने बताया कि उन्होंने वियतनाम में आयोजित हुई नैनो बायोकॉम में भी इस रिसर्च को पेश किया था. जिसके बाद टोक्यो विश्वविद्यालय जापान, साइंस एंड टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय वियतनाम ने भी इस विधि पर काम करने के लिए सहमति जताई है. जिससे कि उनके देश में भी जो अन्य फसलों पर यह बीमारी देखने को मिलती है. उसे किसानों को राहत मिल सके. बताते चलें कि इससे पहले ड. गौरव द्वारा विभिन्न रिसर्च फसल को लेकर किए गए हैं. जिनका बेहतर परिणाम भी देखने को मिला है.

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