निखिल त्यागी/सहारनपुर. अकसर गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग दिखाई देता है, जिसे रेड राट डिजीज के नाम से जाना जाता है. यह रोग गन्ने की फसल के लिए एक तरह से कैंसर है. किसान अपनी फसल को इस रोग से बचाने के लिए कई जतन करते हैं, फिर भी उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ता है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
कृषि विज्ञान अधिकारी डॉ. आईके कुशवाहा ने बताया कि इस रोग को गन्ने के लिए कैंसर इसलिए माना गया है क्योंकि यह रोग जिस भी खेत में एक बार लग जाता है, उसकी रोकथाम जल्दी नहीं हो पाती. जिस भी गन्ने के खेत में यह बीमारी आ जाती है, उस खेत की फसल बर्बाद हो जाती है. कई वर्षों तक इसका असर खेत से नहीं जाता है.
रोग के लक्षण
डॉ. आईके कुशवाहा ने बताया कि लाल सड़न रोग से प्रभावित गन्ने की तीसरी पुरी की पत्ती पीली पड़ने लगती है और पूरा गन्ना सूखने लगता है. प्रभावित गन्ने की पोरी को काटने पर अंदर का हिस्सा लाल रंग का दिखाई देता है. जिसके बीच-बीच में सफेद धब्बे दिखते हैं और उसमें अल्कोहल जैसी गंध आती है. गन्ना इतना कमजोर हो जाता है कि वह बड़ी आसानी से टूट भी जाता है. यह एक फफूंदी मृदा एवं बीज जनित रोग है. वर्तमान में यह रोग गन्ने की को 0238 प्रजाति मे दिखाई दे रहा है.
लाल सड़न रोग बचाव हेतु उपाय
कृषि विज्ञान अधिकारी ने बताया की अगर खेत को इस बीमारी से बचाना है तो 2 किलो ट्राइकोडर्मा हाइजीनियम को 50 किलो गोबर की खाद में मिलकर लगभग 10 दिन तक छाया में रखें. 10 दिन बाद शाम के समय खेत में बिखेर कर पानी लगा दें या फिर जुताई करनी चाहिए. इससे खेत में अगर कहीं भी यह कीटाणु हैं तो वह नष्ट हो जाते हैं. बुवाई के लिए स्वस्थ बीज का प्रयोग करें. गन्ने की रोग रोधी प्रजाति कॉल 15023, कोलस 14201, कोसा 13235, को 118 आदि की बुवाई करें. प्रभावित खेत का पानी स्वस्थ खेत में न आने दें और गर्मी की जुताई जरूर करें.
खड़ी फसल पर रोग लगने पर ये करें
खेत में टाईकोडरमा हाइजेरियम का प्रयोग करें. रोग से प्रभावित पौधों को जड़ से निकलकर किसी सुरक्षित स्थान पर जला दें और जिस जगह से प्रभावित गन्ना उखाड़ा है, उस रोग से प्रभावित स्थान पर 5 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर पानी में मिलाकर डाल दें. इससे वह रोग खत्म हो जाएगा और गर्मी की जुताई जरूर करें. गर्मी की जुताई करने से भूमि में हानिकारक कीट खत्म हो जाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 14, 2023, 21:38 IST