गढ़वाल यूनिवर्सिटी के 50 साल पूरे, आंदोलनों के दम पर बना था विश्वविद्यालय

कमल पिमोली/ श्रीनगर गढ़वाल. उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल में स्थापित गढ़वाल विश्वविद्यालय (Garhwal University Uttarakhand) 50 साल का हो गया है. विश्वविद्यालय प्रशासन 50 साल के स्वर्णिम इतिहास के साथ गोल्डन जुबली मना रहा है.
इसकी स्थापना 1 दिसंबर 1973 को हुई थी, लेकिन गढ़वाल विश्वविद्यालय का बनना कोई आसान नहीं था. इसके लिए कई आंदोलन हुए, आंदोलनकारी जेल गए, तब जाकर गढ़वाल विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया. इन 50 वर्षों के स्वर्णिम इतिहास को याद करते हुए चौरास परिसर के स्वामी मन्मथन प्रेक्षागृह में समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए हुए आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले पांच आंदोलनकारियों को सम्मानित किया गया. इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विश्वविद्यालय परिसर की चौरास सड़क और स्टेडियम की मरम्मत व रेलवे द्वारा परिसर भरान की रॉयल्टी माफ करने का आश्वासन दिया.

गढ़वाल विश्वविद्यालय (HNBGU Uttarakhand) की मांग के लिए किए गए आंदोलनों में शामिल कुंज बिहारी नेगी, कृष्णानन्द मैठाणी, वीरेन्द्र कुमार पैन्यूली, मंजूर अहमद बेग और जगदम्बा प्रसाद रतूड़ी को सम्मानित किया गया. इन सभी ने विश्वविद्यालय की स्थापना में अपना अहम योगदान दिया था.

68 दिन रामपुर जेल में काटे

कुंज बिहारी नेगी ने बताया कि 1972 में गढ़वाल विश्वविद्यालय बनाने के लिए एक आंदोलन चला. तब वह पौड़ी डिग्री कॉलेज में छात्रसंघ अध्यक्ष थे. इस दौरान अन्य आंदोलनकारियों द्वारा उन्हें पौड़ी जिले के पाबो, पैठाणी, सतपुली, कोटद्वार समेत अन्य क्षेत्रों के लोगों को आंदोलन के लिए तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई. उस साल 16 सितंबर को गढ़वाल बंद का ऐलान कर दिया गया, जिसमें जोशीमठ से लेकर ऋषिकेश, देहरादून तक पूरा बंद रहा. इस दौरान 17 सितंबर को उन्हें व स्वामी मनमंथन को रामपुर जेल भेज दिया गया, जहां उन्होंने 68 दिन काटे. उन्होंने आगे कहा कि एक साल तक चले इस आंदोलन में खूब संघर्ष देखने को मिला. उस दौर को याद करते हुए कुंज बिहारी नेगी की आंखें भर आईं.

प्रगति के पथ पर गढ़वाल विश्वविद्यालय

प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल ने बताया कि 1990 में जब उन्होंने यहां शिक्षक के रूप में ज्वाइन किया था, तब से अब तक कई परिवर्तन उन्होंने यहां देखा है. सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनने के बाद और रफ्तार पकड़ी है और विश्वविद्यालय कई कीर्तिमान हासिल कर रहा है. यूनिवर्सिटी शिक्षा, रिसर्च से लेकर, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रही है. कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी के पांच पूर्व छात्रों को भी सम्मानित किया गया, जो विभिन्न पदों पर रहकर देश का नाम रोशन कर रहे हैं.

गढ़वाल यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे 81 हजार छात्र

गौरतलब है कि 50 साल में गढ़वाल विश्वविद्यालय ने स्टेट यूनिवर्सिटी से लेकर सेंट्रल यूनिवर्सटी तक का सफर तय किया है. वर्तमान में गढ़वाल विश्वविद्यालय के पौड़ी, टिहरी और श्रीनगर परिसर में कुल 12,581 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. वहीं गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध 121 संस्थानों की कुल छात्र संख्या 81 हजार है.

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