गजलक्ष्मी व्रत के बाद भी इतने दिनों तक होती है सफेद हाथी की पूजा, धन के लिए आजमाएं यह विधान

अर्पित बड़कुल/दमोह: बुंदेलखंड के दमोह में अधिकतर महिलाएं महालक्ष्मी व्रत को कई वर्षों से करती आ रही हैं. इस साल यह व्रत 6 अक्टूबर को सम्पन्न हुआ. हालांकि, माह के दूसरे सप्ताह तक इस व्रत के पूजन का विधान है. इस माह में सफेद हाथी की नित्य दिन पूजा होती है. इतना ही नहीं, यदि आप भी महालक्ष्मी व्रत की विशेष कृपा पाना चाहते हैं तो विधि विधान से देवी गजलक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं.

कमल आसन पर विराजमान होती हैं धन की देवी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सफेद हाथी पर कमल के आसन पर विराजमान गज लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है, इसलिए इस व्रत को गजलक्ष्मी व्रत कहा जाता है. व्रत-पूजा विधि-विधान से करने से जिंदगी में अपार धन-वैभव की प्राप्ति होती है, जिसको लेकर जिले के बाजारों में मिट्टी से बने हाथियों पर रंग रोगन कर उन्हें बेचा जाता है.

पलाश के फूल का बड़ा महत्व
गजलक्ष्मी व्रत पर कमल के फूल का विशेष महत्व है. इसके अलावा पलाश एक ऐसा फूल है, जो माता लक्ष्मी को बेहद प्रिय है. व्रत के दिन पूजा में गजलक्ष्मी को एक पलाश का फूल जरूर चढ़ाया जाता है. इसके बाद इसे एकाक्षी नारियल के साथ सफेद कपड़े में लपेट लेते फिर इसे धन रखने वाले स्थान पर रख दें. ऐसा माना जाता है कि इस उपाय करने से घर की आर्थिक तंगी दूर होती है. साथ ही मां गजलक्ष्मी की विशेष कृपा उनके भक्तों पर बरसती रहती है.

ये है धार्मिक मान्यता
पंडित धर्मेन्द्र दुबे ने बताया कि गजलक्ष्मी के व्रत का संबंध महाभारत से है. गांधारी के सौ पुत्र थे, जिन्होंने एक विशाल हाथी बनाया. जिस पूजन में गांधारी ने रानी कुंती को नहीं बुलाया. इस बात से कुंती बहुत दुखी थी. तभी कुंती के पांच पांडवों का आगमन हुआ तो अर्जुन ने माता के दुखी होने की वजह जानने की इच्छा व्यक्त की. माता कुंती ने बतया कि हमारी जाति का अपमान है, जिस उद्देश्य को लेकर गांधारी ने हमें पूजन में नहीं बुलाया. तब अर्जुन ने स्वर्ग से सफेद हाथी ऐरावत को बुलाया और फिर पूजन का थाल सजा करके पूरे नगर वासियों का सजीवं ऐरावत हाथी का पूजन करवाया.

Tags: Damoh News, Local18, Religion 18

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *