ओम प्रकाश निरंजन/कोडरमा: बरगद का नाम सुनते ही मन में एक विशाल वृक्ष की तस्वीर आने लगती है. लेकिन, क्या आप सोच सकते हैं कि इतने विशाल वृक्ष को एक छोटे से गमले में लगाकर रखा जा सकता है. बरगद के वृक्ष को धार्मिक और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना गया है.
वट सावित्री पूजा के मौके पर सुहागिन महिलाएं खास तौर पर बरगद के वृक्ष की परिक्रमा और पूजा करती हैं. हालांकि, शहर में बरगद के वृक्ष की संख्या कम होने पर कोडरमा के एक व्यक्ति ने इसका उपाय ढूंढ निकला है और अपने घर की छत पर बरगद के वृक्ष को कई वर्षों से लगा कर रखा है.
7 वर्षों से गमले में बरगद का पेड़
झुमरी तिलैया के विद्यापुरी निवासी ट्रेन के लोको पायलट मिथलेश राम गुप्ता ने बताया कि 7 वर्ष पहले उन्होंने बरगद के पेड़ को घर पर एक गमले में लगाया था. तब से वह इसकी देखभाल कर रहे हैं. इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर उन्होंने बरगद के पेड़ में बोनसाई तकनीक का प्रयोग किया. इसके प्राकृतिक रूप को बरकरार रखते हुए इसे छोटे आकार में गमले में रखा गया है.
बोनसाई तकनीक से पेड़ की ऊंचाई रहेगी कम
मिथलेश राम ने बताया कि बोनसाई तकनीक में पेड़ों की विशेष देखभाल करते हुए पेड़ को ऊपर और नीचे दोनों तरफ बढ़ने से रोका जाता है. इसके लिए खास तौर पर तांबे के तार का प्रयोग किया जाता है. पौधे को आकर्षक रूप देने एवं इसे बढ़ने से रोकने के लिए तांबे की तार डालियों में लपेटी जाती है. बताया कि समय-समय पर इसमें पानी का स्प्रे भी किया जाता है, ताकि जड़ों में नमी बरकरार रहे.
घर में बने जैविक खाद से मिलता है पोषण
मिथिलेश ने बताया कि पौधों में किसी प्रकार के केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता है. घर में ही बेकार सब्जी के छिलके और पेड़ के पत्तों से केंचुआ के जरिए जैविक खाद तैयार करते हैं. इसे पौधे में डालते हैं, जिससे पौधे को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 25, 2024, 15:02 IST