सनंदन उपाध्याय/बलिया: दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा और हमेशा आगे बढ़ने की चाह, किसी भी व्यक्ति को बुलंदियों तक पहुंचा सकती है. उम्र चाहे छोटी हो या बड़ी, कभी भी मेहनत करने वाले के पैरों पर बेड़ियां नहीं लगा सकती है. कुछ ऐसी ही कहानी है सुधांशु पांडेय की, कक्षा चार में पढ़ने वाला यह बच्चा हर किसी के दिलों को अपने कला के माध्यम से जीत रहा है.
यह बच्चा जिले के बांसडीह में स्थित एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई करता है. उसके बाद संगीत विभाग में अपना एडमिशन करा कर तबला और संगीत सीखता है. तबला बजाने के साथ इसके संगीत के स्वर को एक बार जिसने भी सुन लिया इस छोटे बच्चे का दीवाना बन गया.सुधांशु पांडेय ने कहा कि मुझे बचपन से ही तबला सीखने का शौक था और मात्र 2 वर्षों में संगीत विभाग के गुरुजनों ने मुझे वो बहुत कुछ सिखा दिया. जिसे सीखने की ललक मेरे दिलो दिमाग में थी.
ये है इस छोटे कलाकार की कहानी
जिले के बांसडीह थाना क्षेत्र अंतर्गत मैरिटार निवासी सुधांशु पांडेय 8 वर्षीय पुत्र विष्णु दत्त पांडेय ने कहा कि मेरा जब स्कूल में एडमिशन हुआ तभी से मेरा शौक था कि मैं तबला और संगीत सीख लूं. क्योंकि विगत दो वर्षों से मैं लगातार स्थानीय सेंट जॉन्स स्कूल में पढ़ाई करता हूं. जब स्कूल से छुट्टी मिलती है तब मैं संगीत विभाग में तबला और संगीत सिखता हूं. 2 वर्षों से मेरा एडमिशन संगीत विभाग में है और यहां के गुरुजनों ने व्यक्तिगत रूप से मेरे ऊपर ज्यादा ध्यान दिया और मात्र 2 वर्षों में मैं तबला का कोर्स (कायदा, पलटा, तीन ताल, दादर और करवा) सीख लिया. मेरे तबला के धुन को सुनकर हर कोई सराहना करता है. जो कहीं न कहीं मुझे और कुछ कर जाने के लिए प्रेरित करता है.
छोटे बच्चे के तबले की धुन का हर कोई दीवाना
जब यह छोटा बच्चा कैदा पलटा तीन ताल दादर करवा जैसे कोर्स को संपन्न कर तबला को अपना धुन देता है. तो हर कोई इस बच्चे का दीवाना बन जाता है. यह बच्चा जब तबला बजाता है तो खुद तबले के धुन में डूब जाता है. इसके बजाने का जो तरीका है वह काफी आकर्षक है. जो हर किसी को आकर्षित कर जाता हैं. बच्चा बताता है कि मेरा सबसे प्रिय गीत इस प्रकार है की अमृत के धार केहू केतनो पिआई एगो माई बिना. कैसे करेजवा जुड़ाई ए भाई एगो माई बिना.
ये बोले संगीत अध्यापक
संगीत अध्यापक डॉक्टर अरविंद कुमार उपाध्याय बताते हैं कि इस बच्चे का जब यहां एडमिशन कराया गया तो हर छात्रों से इस बच्चे का जो सीखने का शौक था वह कहीं न कहीं अलग था. आज भी यह बच्चा जब संगीत विभाग में आ जाता है तो हर कुछ भूल कर इसमें डूब जाता है. चाहे वह तबला सीखने की बात हो या संगीत और हकीकत में इतने कम दिनों में यह बच्चा वह सब सीख लिया है जो हर किसी के लिए संभव नहीं होता है.
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FIRST PUBLISHED : November 5, 2023, 14:54 IST