गजब का कानून: बोदला जमीन प्रकरण में जनप्रतिनिधि, रेस्टोरेंट संचालक सेफ जोन में…गुर्गे पहुंचे जेल

Public representative restaurant operator in safe zone in Bodla land issue henchmen reached jail

जगदीशपुरा थाना
– फोटो : अमर उजाला

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आगरा के बोदला (जगदीशपुरा) की 10 हजार वर्ग मीटर जमीन पर कब्जे और फर्जी मुकदमे दर्ज कराने के चर्चित मामले में दो जनप्रतिनिधि, रेस्टोरेंट संचालक, होटल संचालक के नाम उछले, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। बिल्डर कमल चौधरी और उसके बेेटे को भी हाईकोर्ट से राहत मिल गई। सभी सेफ जोन में पहुंच गए। अब बिल्डर को पुलिस का जांच में सहयोग करना है मगर 3 दिन बाद भी इस मामले में बिल्डर से पूछताछ नहीं हुई है।

बोदला की बेशकीमती जमीन पर कब्जा करने की साजिश किसने रची? दो माह बाद भी पुलिस पता नहीं लगा सकी। जमीन पर कंक्रीट की चहारदीवारी बनवाई गई। चौकीदार रवि कुशवाह का सामान हटाया गया। रवि, उसके भाई शंकरिया और पत्नी पूनम को एनडीपीएस एक्ट के दो मुकदमे दर्ज करके जेल भेजा गया। शुरुआती दौर में जमीन पर कब्जे में एक माननीय सहित दो जनप्रतिनिधियों, सदर के रेस्टोरेंट संचालक, होटल स्वामी और बिल्डर पिता-पुत्र के नाम उछले थे। जगदीशपुरा थाने के तत्कालीन एसओ जितेंद्र कुमार को जेल भेजा गया, लेकिन इस मामले में शामिल रहे थाने के अन्य सिपाहियों पर कार्रवाई नहीं हुई।

आबकारी के दरोगा और सिपाहियों पर भी कार्रवाई हो गई, लेकिन बड़े नाम सेफ जोन में पहुंच चुके हैं। कब्जा कराने का आरोपी बिल्डर कमल चौधरी और उसके बेटे की तलाश पुलिस नहीं कर सकी। आखिरकार पिता-पुत्र को हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक का आदेश मिल गया। अब बिल्डर को पुलिस की जांच में मदद करनी है, लेकिन दो दिन बाद भी उससे पूछताछ नहीं हो सकी है।

जमीन पर मालिकाना हक किसका, नहीं लगा पता

विवादित जमीन का असली मालिक कौन है। यह गुत्थी दो माह बाद भी नहीं सुलझ सकी है। जमीन नेमचंद जैन और टहल सिंह के पास थी। बाद में टहल सिंह ने इस जमीन को मनोज यादव सहित कई लोगों के नाम एग्रीमेंट किए। एक नाम माननीय का भी रहा, लेकिन तहसील के रिकॉर्ड को आज तक नहीं जांचा जा सका है। जबकि सांसद राजकुमार चाहर भी जमीन के असली वारिसान का पता लगाने के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिख चुके हैं। यह भी कहा गया है कि जमीन पर कब्जा किसका है, इसका पता लगाया जाए, लेकिन यह भी साफ नहीं हो सका है।

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