अनुज गौतम/सागर. एक वह समय था, जब चिट्ठियों में अपनों का प्रेम, गांव की मीठी सुगंध और मधुर स्मृतियां भरी रहती थीं. जब भी इन पत्रों को पढ़ते तो बातें और यादें दोनों ही हृदय को आनंद से भर देती थीं. बीते कुछ सालों में मोबाइल के चलन और सोशल मीडिया की वजह से चिट्ठी को लोग एक तरह से भूल गए हैं, लेकिन सागर जिले में एक शख्स ऐसे भी हैं, जिन्होंने पोस्टकार्डों का अनोखा और दुर्लभ संग्रह किया है. उनके संग्रहालय में 100 साल से अधिक पुराने पोस्टकार्ड रखे हुए हैं.
दरअसल, सागर के अहमद नगर में रहने वाले दामोदर अग्निहोत्री को पुरानी संस्कृति से जुड़े सामान संग्रह करने का गजब जुनून सवार है, जिसके लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया. इसी शौक के चलते उन्होंने अपने बुंदेली म्यूजियम में दशकों पुराने पोस्टकार्ड यानि डाक पत्रों को संग्रहित करके रखा है, जिनको बुंदेलखंड में चिट्ठी भी कहा जाता है.
आज भी देख सकते हैं 125 साल पुराना डाक पत्र
दामोदर अग्निहोत्री के पास करीब 125 साल पुराने डाक पत्र आज भी उपलब्ध हैं. उनके संग्रहण में करीब 70 दुर्लभ पोस्टकार्ड संरक्षित हैं. सबसे प्राचीन 1899 से लेकर अभी तक डाक पत्र हैं उनको एकत्रित किया गया है. राजवंशों के द्वारा रियासतों के द्वारा जिन डाक पत्रों का इस्तेमाल किया जाता था, वह इस म्यूजियम में आज भी उपलब्ध हैं.
उस समय भी सामाजिक संदेश देती थी चिट्टियां
इसमें खास बात यह है कि डाकपत्र में उस समय के लोक संस्कृति और जीवन शैली का चित्रण पढ़ने को मिलता है. हर चिट्ठी में किसी न किसी तरह का सामाजिक संदेश दिया जाता था जिन्हें आज उन्होंने और अच्छे से उकेर दिया है. ताकि लोग स्पष्ट रूप से उसे पढ़ सकें, जान सकें, समझ सकें.
संग्रहालय में रखे हैं दुर्लभ डाक पत्र
सत्यम कला एवं संस्कृति संग्रहालय के निर्माता दामोदर अग्निहोत्री बताते हैं कि इसमें सन 1899 में विक्टोरिया शासन काल का सबसे पुराना पांव आना का डाक पत्र है, वहीं इनमें अलग-अलग तरह के संदेश भी दिए जाते थे. जैसे एक पत्र में लिखा है कि अगर हमसे कोई गलती हो गई हो तो उसे आप बताइए हम सुधार करेंगे, एक और पत्र में प्रकृति प्रेम और संयुक्त परिवार के साथ रहने का संदेश दिया गया है. ऐसे ही बड़ों के प्रति आदर और अपनी गलती स्वीकार करने की सीख, सामाजिक प्रेम और भाईचारा गुरु शिष्य की आदर्श परंपरा के दर्शन, अपनी बात के धनी होने की सीख और बड़ों का सम्मान पारिवारिक संबंधों को मधुर बनाने की पूर्वजों की सीख, वर्ग भेद से मुक्त सामाजिक समरसता, भ्रमण स्थल का सूक्ष्म अवलोकन करने जैसी चीजों को दर्शाया गया है.
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FIRST PUBLISHED : October 10, 2023, 11:34 IST